Yashwant Singh : कल मैं भी अपने गांव वोट दे आया. झूठ नहीं बोलूंगा. बसपा को दिया. अफजाल अंसारी को. चुनाव चिन्ह हाथी वाला बटन दबाया.
पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी के वास्ते मनोज सिन्हा को वोट दिया था. तब दस साल के कांग्रेस के करप्ट शासन से मैं भी उबा-त्रस्त था. मोदी की लफ्फाजी पर यकीन करने का दिल करता था. मोदी को एक मौका दिए जाने का पक्षधर था.
लेकिन पांच साल में मोदी ने सिवाय लफ्फाजी के कुछ किया दिया नहीं देश को. मेरा पैमाना रोजगार, महंगाई, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, सामाजिक न्याय, सामाजिक समरसता और मजदूर-किसान हैं. इस मोर्चे पर मोदी भयानक पिटे हैं. सो, इस लोकसभा चुनाव में देश की इकानामी ध्वस्त करने वाले, लाखों-करोड़ों लोगों का रोजगार छीनने वाले, अडानी-अंबानी की जेब भरने वाले, माल्याओं-मोदियों को विदेश भगाने वाले मोदी से दुखी था. इसीलिए इनके विरोध में वोट देना था.
मैं निजी रूप से सामाजिक न्याय का पक्षधर हूं. देश के दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक तबके के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के चलते मुझे वोट सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी को ही देना था जो मोदी के प्रत्याशी को टक्कर देने में सक्षम दिखा.
सीपीआई और सीपीआई-एमएल के भी कैंडीडेट गाजीपुर में थे लेकिन इनका कोई नामलेवा नहीं, और न ही ये कोई मास मूवमेंट खड़ा कर पाने में सफल रहे. ये कम्युनिस्ट दल इतने अहंकारी हैं कि एक साथ मिलकर चुनाव भी नहीं लड़ सकते. इसलिए इन्हें वोट देकर अपना वोट व्यर्थ नहीं करना था.
अफजाल अंसारी को मैंने वोट दिया, ये जानकारी जब अपने गांव के सवर्ण युवाओं को दी तो पहले तो वो हंस कर कहने लगे कि ऐसा हो ही नहीं सकता. जब उन्हें पूरे यकीन से समझाया और गिनाया कि मैं क्यों मोदी सरकार के खिलाफ हूं, तो वो सदमें में थे. उन्हें कतई यकीन न था कि मैं अफजाल अंसारी को वोट दूंगा.
पूरे गांव के सवर्ण घरों के लोग मोदी के लिए महाएकजुट थे. सर्वण युवा तो खासकर जोश से पागल थे. मोदी को दुबारा लाने जिताने का जैसे जुनून सवार था. मैं उन्हें किसी एलियन माफिक दिख रहा था. सौ से ज्यादा फर्जी वोट ये युवा भाजपा कैंडीडेट मनोज सिन्हा को दे चुके थे. गठबंधन की तरफ से जो दो-तीन लोग पोलिंग एजेंट के रूप में तैनात थे, वे दर्जनों आक्रामक सवर्ण युवाओं के मुकाबले कहीं टिक नहीं पा रहे थे. चुनाव के आखिरी तीन घंटों में गठबंधन के पोलिंग एजेंट अपने अपने घर चले गए.
मैं वोट देकर पोलिंग बूथ के बगल में स्थित अपने दुआर वाले कमरे में आराम करने पहुंचा तो देखा कि वहां भी युवाओं की एक टीम जोर जोर से बहस में जुटी हुई थी. गठबंधन प्रत्याशी अफजाल अंसारी के इकलौते प्रतिनिधि को घेरकर मोदी भक्त युवा वैचारिक रूप से परास्त करने को तत्पर थे. इसी बीच मेरे भीतर का पत्रकार जग गया. मोबाइल आन कर दिया. खुद को रिकार्ड किए जाते देखकर भी युवा ठिठके रुके नहीं. इनका वक्तव्य जारी था. आप भी देखें-सुनें. ऐसी ग्राउंड रिपोर्टिंग, इस किस्म का लाइव डिबेट, ऐसे पैनलिस्ट आपने देखे न होंगे…
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जैजै
यशवंत
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भड़ास संपादक यशवंत की एफबी वॉल से.