Connect with us

Hi, what are you looking for?

आवाजाही

ज़ी बिहार-झारखंड से एक एंकर, एक सीनियर प्रोड्यूसर समेत 3 का इस्तीफा

प्रबंधन के सामने घुटने नहीं टेकने की मिली सज़ा! सिलसिला जारी…

कोरोना काल में ज़ी मीडिया में कर्मचारियों पर दबाव बनाकर ऑफिस बुलाने के काफी बुरे नतीजे आए. ज्यादातर लोग कोरोना ग्रस्त हो गए. सो, वो आफिस आने की जगह अब इलाज करा रहे. जो कुछ लोग बीमार नहीं हैं उन पर आफिस में काम करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. जो नहीं आ रहे हैं उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

ऐसे लोगों के सामने दुम हिलाने वाले ‘पामेलियन’ को नज़ीर बनाकर पेश किया जाता है. पांचवें माले पर भी लगभग यही हाल है. इसकी जड़ें पाताललोक तक यानी बेसमेंट तक गईं हैं. कोरोना काल में बेसमेंट वाले रीजनल चैनलों में काम कर रहे तकरीबन 75% कर्मचारी कोरोना पाजिटिव हैं. शेष बचे 25% कर्मचारियों पर काम का बोझ डाला जा रहा है. नहीं करने पर नौकरी से निकाले जाने की धमकी दी जा रही है. इसमें कई ऐसे कर्मचारी हैं जिनका क्वारंटीन पीरियड भी पूरा नहीं हुआ है.

जो कर्मचारी ऐसे मौके पर काम कर रहे हैं उनकी मनःस्थिति को समझा जा सकता है. ऊपर से इन्हें कोई रियायत नहीं दी जा रही है. बुलेटिन में कोई कटौती नहीं हुई है. कोल्हू के बैल की तरह काम लिया जा रहा है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

सुना है ज़ी बिहार झारखंड से सीनियर प्रोड्यूसर राज किशोर झा, सीनियर एंकर रश्मि शर्मा, एसाइनमेंट से प्रोड्यूसर कृष्णा यादव ने इस्तीफा दे दिया है. तीनों मेहनती और काम के प्रति समर्पित थे. तीनों ने काम को लेकर कभी समझौता नहीं किया. तीनों इम्प्लाई ज़ी को इसलिए अलविदा कह गए क्योंकि उनकी सुनने वाला कोई नहीं था. ज़ी मीडिया में खराब व्यवस्थाओं के चलते तीनों ने खुद को अलग कर लिया.

ज़ी राजस्थान चैनल में भी दो कर्मचारी जल्द ही इस्तीफा देने की तैयारी कर रहे हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.

ज़ी यूपी-यूके, एमपी-छत्तीसगढ़, पंजाब जैसे रीजनल चैनल का हाल भी बुरा है. जी पंजाब हरियाणा हिमाचल चैनल के रन डाउन प्रोड्यूसर समेत कई कोरोना पाजिटिव बताए जाते हैं. 26 मई तक पंजाब चैनल में काम चलता रहा. इसके बाद सबकी तबीयत खराब होने लगी. अब कई आइसोलेशन में हैं और कुछ को होम क्वारंटाइन किया गया है.

कलस्टर-3 के किम जोंग भी ऐसे ही धनियां बोए हुए हैं. कर्मचारियों में उनके अटपटे फैसलों के चलते असंतोष है. एक समय था ज़ी मीडिया अपने इम्प्लाई को मखमली कपड़े में बड़े दुलार के साथ रखता था. उनकी सुविधाओं में कोई कमी नहीं रखता था. लेकिन पिछले 3 साल से हालात बदल गए हैं. ज़ी अब जान लेने पर अमादा है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

ज़ी मीडिया में कई पतझड़ देख चुके एक कर्मचारी की चिट्ठी पर आधारित.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement