सहारा समूह आग के मुहाने पर है. अपने निवेशकों का पैसा दबाए रखने की जिद के चलते पूरे देश में उबाल है. सबसे ज्यादा दबाव उन एजेंटों पर है जिन्होंने लोगों को पैसा सहारा में लगवाया. लोग सबसे पहले इन्हीं एजेंटों को पकड़ते हैं और आए दिन उन पर दबाव बनाते रहते हैं.
उधर सहारा समूह के कर्ताधर्ताओं ने आंख कान नाक सब बंद कर लिया है. उन्हें मतलब नहीं कि उनके एजेंट रोएं या सुसाइड करें. सुब्रत राय अपने पुराने बिजनेस मॉडल को पुराने तरीके से ही चलाते रहने पर अड़े हुए हैं. सहारा समूह के विज्ञापनों के बोझ तले दबे पूरा मीडिया जगत मौन है. उधर केंद्र और राज्य की सरकारें भी सहारा के सहयोग-समर्थन के एवज में चुप्पी साधे हैं. ऐसे में निवेशक जाएं तो जाएं कहां.
सहारा के एजेंटों से जुड़ी दो खबरें हैं. एक महिला एजेंट ने सुसाइड कर लिया है. इसकी खबर अखबारों में छपी है. नीचे दो अखबारों की कटिंग दे रहे हैं. एक अखबार ने साफ तौर पर लिखा है कि अपने निवेशकों का भुगतान न करा पाने और निवेशकों के दबाव को न झेल पाने के चलते महिला एजेंट ने जान दे दिया.
उधर दक्षिणी कोलकाता और हावड़ा के रीजनल मैनेजरों ने सहारा समूह के मुखियाओं को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने सहारा के एजेंटों द्वारा खुद को बंधक बनाए जाने की बात कही है. इस पत्र में रीजनल मैनेजरों ने स्वीकार किया है कि जिन एजेंटों ने अच्छा बिजनेस दिया, उन्हीं के निवेश किए पैसे को हम नहीं दे पा रहे हैं. पढ़िए पत्र-
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