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सुख-दुख

जिस मीडिया कंपनी में हिंदी सेवा का मैं प्रमुख था, अब वह अडानी का हुआ!

तरूण कुमार तरूण-

तरुण बासु, मैं, आईएएनएस, अंबानी और अडानी…

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आज मीडिया की दुनिया में एक बड़ी ख़बर धमाके के बाद तैर रही है! देश की सर्वश्रेष्ठ समाचार एजेंसियों में से एक IANS को अडानी ने खरीद लिया! NDTV के बाद IANS अडानी की मीडिया कंपनी एमजी मीडिया नेटवर्क्स लिमिटेड का दूसरा अधिग्रहण है! वही IANS जिसके मुख्य संपादक और लीडर थे मशहूर पत्रकार तरुण बासु और जिनके अधीन हिंदी सेवा का संपादक था मैं! तब IANS में दो तरुण थे। तरुण बासु और तरुण कुमार तरुण! और IANS से जुड़ना फाकेमस्ती चरित्र के मेरे पत्रकारिता करियर का एक त्वरित अवसर था, जिसकी रोचक कहानी फिर कभी! अंबानी से अडानी के हाथों में आए IANS के संस्थापक थे एक नामचीन प्रवासी गोपाल राजू।‌

आज का Indo-Asian News Service तब India-Abroad News Service कहलाता था। उसकी मशहूर ब्राडशीट मैग्जीन India Abroad को जब रेडिफ ने खरीद लिया तो Abroad शब्द की जगह Asian शब्द को स्थापित किया गया, ताकि IANS ब्रांड नेम अपरिवर्तित रह सके।

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तरुण बासु के जमाने का IANS प्रतिष्ठा और साख में देश की नंबर एक एजेंसी पीटीआई व यूएनआई, एएनआई से थोड़े भी कमतर नहीं थी! प्रवासी और विदेश केंद्रित खबरों की दुनिया में IANS की धाक थी। तब इसका दफ्तर दिल्ली के सबसे महंगे पाश इलाकों‌ में से एक राव तुलाराम मार्ग में हुआ करता था, बाद में नोयडा।‌ यहां रहते हुए मैं सिर्फ इसकी हिंदी सेवा का ही प्रमुख नहीं था, बल्कि इसकी हिंदी प्रकाशन सेवा भी मेरे अधीन थी। मेरे पहले और बाद भी इसकी हिंदी सेवा के संपादक हुए, पर दशक की पारी मेरी ही थी! वहां प्रवासी भारतीयों पर केंद्रित पचास पेज वाली प्रवासी भारतीय” पत्रिका का हिंदी संपादन, अनुवाद भी मेरे अधीन था। वहीं, इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी की हिंदी वेबसाइट, सेल, रिको आदि जैसी प्रकाशन परियोजनाओं का संपादन मेरा सौभाग्य था।

यहीं रहते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री का स्पीच लिखने का गौरव हासिल हुआ। जिंगल, ब्रांडिंग पंचलाईन वगैरह पर भी अपनी रचनात्मकता आजमाई। पत्रकारिता और रोजी-रोटी की दुनिया में IANS का कर्जदार हूं मैं, क्योंकि वहां अपने जीवन का स्वर्णिम दस साल दिया! IANS तब बहुत कुछ दिया, तब मीडिया में पत्रकारों का बहुत कम‌ मिलता था! मेरे रहते अनिल अंबानी की कंपनी ने इसका अधिग्रहण किया था, अब अडानी ने! खबर पढ़कर भावुक और नौस्टैल्जिक होना लाजिमी है। आज जब नेताओं की परिक्रमा पत्रकारों का चरित्र और लाचारी है, तरुण बासु साहब के जमाने के आईएनएस के दफ्तर में कितने ही शीर्ष नेताओं को बैठकी लगाते देखा! अधिकांश नेता-मंत्री बासु साहब के मित्र की हैसियत से आते थे, मंत्री की हैसियत से नहीं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेएन दीक्षित को कई बार देखा। स्टाइलिश धारदार अंग्रेजी लिखने वाले बासु साहब हिंदी से भी उतना ही लगाव रखते थे। जब सुबह IANS की छपी खबरों की कतरन उनके पास पहुंचती तो वे हुलस से बुलाकर कहते, ” क्या बात है तरुण! आज अंग्रेजी से ज्यादा खबरें हिंदी की लगी हैं!” मेरे डेस्क से गुजरी खबरें कई बार अखबारों की लीड तक बनती! मोटे हरफ में IANS क्रेडिट लाईन देखकर गर्व होता! वहीं IANS अब अडानी की हो गयी।

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वह IANS जो प्रसून सोनवाल्कर, सुभाष के. झा, शरत प्रधान, अरविन्द पद्मनाभन, एमआर नारायण स्वामी, रजाउल एच लश्कर आदि जैसे प्रखर पत्रकारों के कारण पेशेवर पत्रकारिता का आदर्श संस्थान हुआ करता था! और उन सबके ऊपर थे अभिभावक समान श्वेतकेशी लंबे बाल वाले केपीएन कुट्टी साहब जो कभी यूएनआई की पत्रकारिता की रीढ़ रह चुके थे! कुट्टी साहब गत साल दुनिया से विदा हो गये। कापी पर उनकी डूबी हुई नजर देखकर लगता मानो कोई चित्रकार पेंटिंग में डूबा हो! मजाल कि किसी कापी में अशुद्धि रह जाए। बासु साहब सर्वेसर्वा होकर भी उन्हें सबसे ज्यादा इज्जत देते।

आज जब मीडिया में छोटी सी नोंक-झोंक पर किसी की नौकरी चली जाती है, बासु साहब ऐसे अभिभावक समान संपादक थे, जिनसे खबरों को लेकर अनगिनत बार गर्मागर्मी के बाद भी रिश्तों पर कभी फर्क नहीं पड़ा! यही कारण है उनके और मेरे IANS से विदा होने के दस-बारह साल बाद भी स्नेह-आशीर्वाद-जुड़ाव का नाता कायम है! आज भी बड़ी सहजता से बेझिझक उस बासु साहब से बात हो जाती है जो IANS के पर्याय और पहचान रहे।

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किसी भी नेता-मंत्री से दस गुना ज्यादा देश-विदेश को नाप चुके बासु साहब को वाजपेयी, कलाम साहब, आडवाणी, मंत्री,अधिकारी को सीधे फोन घुमाते देखा! उनके कमरे में एक बार एक ऐसे शख्स को बैठा देखा जिसका चेहरा जाना पहचाना था, क्योंकि उन पर हाल ही में आतंकवादी हमला हुआ था और वे अखबारों की लीड स्टोरी थे।” मैंने उस शख्स के विदा होने के बाद उनसे पूछा, “सर ये तो कोई जाना-पहचाना शख्स था! उन्होंने धीरे से कहा, “दुनिया में सबसे ज्यादा आतंकवादी हमला झेलने वाला शख्स डगलस देवानंदा! तुम‌ सही पहचाने।” श्रीलंका के मंत्री देवानंदा पर हाल ही में एक लिट्टे आतंकी ने ब्रा बम से हमला किया था! इससे पहले कई बार वे आतंकी हमलों में बचते रहे! दुनिया में सबसे ज्यादा आतंकवादी हमला‌ झेलने वाला शख्स! भारत में बिना सुरक्षा के बासु साहब से वार्तालाप में लीन!

IANS के अडानी अधिग्रहण की खबर के बाद आज तरुण बासु साहब से फोन पर लंबी बातचीत में वे तमाम आत्मीय पल‌ कौंधते रहे जो हमारे जीवन के प्रेरक पल रहे हैं। IANS अब अडानी का हो चुका है। डील पक्की हो गयी है! जाहिर है IANS भी परिवर्तन की अनिवार्यता से गुजरेगा! बस, नहीं बदलेंगे तो वो पल जो IANS में काम करने वाले हर व्यक्ति की सुखद स्मृतियों में दर्ज है…

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(वाजपेयी जी से मुखातिब हमारे तत्कालीन मुख्य संपादक तरुण बासु)

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गिरिंद्र नाथ झा-

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समाचार एजेंसी IANS की जब भी बात होती है मन दिल्ली दौड़ लगाने लगता है। संपादन, अनुवाद, शोध रिपोर्ट आदि का जो भी ज्ञान मिला, उसके पीछे नेपथ्य के अभिनेता की तरह IANS ही है। दुनिया भर की प्रमुख समाचार एजेंसी सबसे परिचय IANS ने ही कराया, चीन हो, रूस हो, जर्मनी हो…. हर देश की कॉपी जब डेस्क पर आती तो मन चहक उठता था।

कॉलेज से निकलते ही इसी अड्डे ने खबरों की दुनिया से जोड़ने का काम किया और नौकरी करना सिखाया। इस संस्थान से एक से बढ़कर एक पत्रकार जुड़े, जो आज दुनिया भर में परचम लहरा रहे हैं।

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कल से IANS के अडानी के हो जाने की खबर सुन रहा हूँ। एक दिन सबको बिक जाना है, यह सत्य है! बाज़ार ही सत्य है, बांकी सब माया है! अपनी स्मृति में IANS हमेशा रहेगा।

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