दैनिक भास्कर प्रबंधन ने दिल्ली के राजेंद्र प्लेस में चल रहे अपने संपादकीय कार्यालय को रातोंरात बिना किसी को खबर किए बंद कर इसे 125 किमी. दूर रेवाड़ी पहुंचा दिया है. यहां तक कि उसने अपने कर्मचारियों तक को बताने की जरूरत नहीं समझी. इन कर्मचरियों का कसूर यह था कि ये मजीठिया वेज बोर्ड लागू कराने के लिए अपनी आवाज बुलंद किए हुए थे और इन्होंने प्रबंधन के दबाव में हलफनामा देने से इनकार कर दिया था.
प्रबंधन अपने दो-तीन चहेतों और चार-पांच नवनियुक्त लोगों के साथ 29 अगस्त को आधी रात के बाद रेवाड़ी रवाना हो गया. मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे 11 कर्मचारियों को साथ ले जाना तो दूर, उन्हें ऑफिस ट्रांसफर की सूचना देना तक जरूरी नहीं समझा. दरअसल प्रबंधन को किसी ने पट्टी पढाई है कि रेवाड़ी जाने पर मजीठिया का भूत उनका पीछा छोड़ देगा. लकिन मजीठिया की लड़ाई लेबर कमिश्नर, राज्य और केंद्र सरकार से होती हुई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है. कानून के हाथ बहुत लंबे हैं और रेवाड़ी सुप्रीम कोर्ट की जद से बाहर नहीं है. अब दैनिक भास्कर के दिल्ली, फरीदाबाद और गुडगाँव संस्करण के सभी पेज रेवाड़ी में बनेंगे और वहीँ छपेंगे. अख़बार को रेवाड़ी से लाकर यहां बांटा जाएगा. इस तरह बात-बात में रिकॉर्ड बनाने का दावा करने वाला दैनिक भास्कर एक और रिकॉर्ड बनाने जा रहा है.
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उधर मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन देने से बचने के लिए दैनिक भास्कर के कोटा कार्यालय में सभी नए अपाइंमेंट कॉन्ट्रेक्ट पर कर दिए हैं। सम्पादकीय विभाग में सब एडिटर , सीनियर सब एडिटर तक को जारी परिचय पत्रों पर लिखा है कॉन्ट्रक्ट पर।