इस देश में बड़े लोग अपने हित में एक से एक फंडे निकालते रहते हैं और गरीब आदमी न्याय के लिए टुकुर टुकुर ताकता रह जाता है. मीडियाकर्मियों को बेहतर सेलरी और भत्ता देने के लिए बनाई गई सरकारी मजीठिया वेज बोर्ड के रिपोर्ट को लागू करने के केंद्र सरकार के कानूनी और सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक आदेश को धता बताने के लिए मीडिया मालिकों ने झूठ दर झूठ बोलने का काम शुरू कर दिया है. किस तरह पैसे बचा लिए जाएं और अपने कर्मियों को कम दाम में काम करने को मजबूर किया जाता रहे, इसके लिए रोजाना ये अखबार मालिक नए तरीके निकाल रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने लेबर डिपार्टमेंट को जिम्मा दिया कि वह तीन महीने में जमीनी रिपोर्ट ले आए कि क्या वाकई सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मीडिया मालिकों ने लागू नहीं किया है, तो लेबर आफिस और मीडिया मालिकों ने मिलकर एक नई तरकीब ढूंढ ली है. 20J के कागजों पर साइन कराकर हर मीडियाकर्मी से यह घोषित करवा दे रहे हैं कि वह मालिक के दिए जा रहे सेलरी से संतुष्ट है और इसी के तहत वह दस्तखत कर रहा है.
दैनिक भास्कर, जयपुर में कल लेबर इंस्पेक्टर की टीम गई. इस टीम ने एडिटर के साथ बैठकर चाय पकौड़े का आनंद लिया. प्रबन्धन ने एक-एक कर कर्मचारियों को बुलाकर 20 j के कागजों पर साइन कराना शुरू किया. लेबर इंस्पेक्टर ने उनको वेरीफाई किया. कल भास्कर राजस्थान के 200 कर्मचारियों ने साइन किए. यही प्रक्रिया दूसरी यूनिट में भी शुरू होने वाली है. नए सिरे से 20J पर साइन करवाने के बाद लेबर विभाग यही रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को देगा कि प्रत्येक इंप्लाई मजीठिया वेज बोर्ड पा चुका है या मजीठिया वेज बोर्ड से बेहतर सेलरी पाकर खुशी का लिखित इजहार कर चुका है. हालांकि कई ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने 20 J वाले कागज पर साइन नहीं किया है लेकिन भास्कर प्रबंधन इन्हें साइन किया हुआ घोषित कर रहा है और सहमति के लिस्ट में इन लोगों का नाम भी श्रम विभाग को भेज रखा है. ये वो 7 लोग हैं जिन्होंने 20J पर साइन नहीं किया- 1. ओम कटारा 2. राजीव सक्सेना 3. देवेन्द्र राठौड़ 4. मनोज गौतम 5. राजेश सक्सेना 6. गुरु दत्त शर्मा 7. हरी प्रसाद सुमन.
दैनिक भास्कर कोटा के करीब 48 कर्मियों ने श्रम विभाग में मुकदमा डाल रखा है, मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर. 24 जुलाई 2015 को स्थानीय लेबर कार्यालय में समझौता वार्ता थी. लेकिन भास्कर प्रबंधन की तरफ से कोई नहीं गया. इस दौरान दूसरे अख़बार के अन्य साथियों ने भी शिकायत लिखित में दी कि उन्हें अभी तक मजीठिया का कोई लाभ नहीं मिला है. दैनिक भास्कर प्रबंधन की शिकायत करने वालों की संख्या बढ़कर 48 हो गई जिसमें 10 साथी कर्मचारी वो हैं जिन्होंने दैनिक भास्कर को कभी अपना कीमती समय दिया लेकिन उनको उसके अनुरूप प्रतिफल नहीं मिला. इस सन्दर्भ में उन्होंने भी अपने एरियर के लिए भुगतान के लिए लिखित में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है. दूसरे अख़बारों से 7 लोगों ने मजीठिया के लिए कोटा लेबर आफिस में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया.
इस बीच, जार यानि जर्नलिस्ट आफ राजस्थान संगठन के कोटा ज़िला अध्यक्ष हरी वल्लभ मेघवाल ने मीडिया कर्मचारियों के साथ संयुक्त लेबर कमिश्नर से मुलाकात की और मजीठिया को लेकर बातचीत की. उन्होंने लिखित में एक शिकायती पत्र दिया जिसमें कहा गया है कि सर्वोच्च नयायालय के आदेशों का पालन नहीं करते हुए लेबर विभाग ने अभी तक किसी भी अख़बार या संस्थान में जाँच के लिए कोई टीम नहीं भेजा. अत: बिना जांच कराए जनसुनवाई निराधार है.
दैनिक भास्कर कोटा के दर्जनों कर्मियों द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड से संबंधित श्रम विभाग में की गई शिकायत के जवाब में भास्कर प्रबंधन ने जो जवाब प्रस्तुत किया है वह चौंकाने वाला है. भास्कर ने अपनी सफाई में लिखित दस्तावेज दिया कि सभी कर्मचारियों ने 20J पर साइन कर रखे हैं. लेकिन प्रबंधन ये नहीं बता रहा कि किसने कब साइन किया और कहां किया. इस बारे में भास्कर के दस्तावेज मौन हैं. ऐसा बताया जाता है कि Journalist act 1955 के अनुसार 20 J पर letter of notification के 3 महीने के अंदर अंदर साइन होना जरूरी है जबकि भास्कर ने सबसे साइन 31 मार्च 2014 को करवाये थे और भारत सरकार का मजेटिया गैजेट 11 NOV 2011 से लागू होता है.
भास्कर ने भेड़चाल चलते हुए सबका एक ही जवाब बनाया कि सभी कर्मचारियों ने 20J पर साइन कर रखे हैं. जबकि 46 में से 9 लोग ऐसे हैं जो मार्च 14 से पहले ही नौकरी छोड़ चुके हैं और उन्होंने 20J पर साइन भी नहीं किए हैं. लेबर इंस्पेक्टर ने जब सभी कर्मचारियों का वो साइन किया हुआ 20J फॉर्म माँगा तो भास्कर ने जयपुर लेबर आफिस मुख्यालय में जमा होने का हवाला दिया. भास्कर के लिखित जवाब को कर्मचारियों ने न्यायसंगत नहीं बताया और उसे अस्वीकार किया. भास्कर मैनजमेंट ने भी आश्वासन दिया कि जो कर्मचारी कार्य कर रहे हैं, जिन्होंने लेबर कार्यालय मे मजीठिया की शिकायत दी है, उनको यथावत कार्य करने दिया जायेगा, उनकी सेवा शर्तों में कोई परिवर्तन नहीं किया जायेगा.
raghunath
August 2, 2015 at 9:51 am
ऐसा करना इन कुत्तो की पुरानी आदत ये साले इतने गांडू है कि जबतक इन मादरचोदो को सुप्रीम कोर्ट का चाबुक नहीं पड़ेगा तबतक ये साले माननेवाले कहाँ है फिर भास्कर हो या राजस्थान पत्रिका दोनों में मालिक महा मादरचोद हैं अगर गुलाब कोठारी के बात करे तो ये साला बुद्धा बहुत हरामी है इस गांडू को तो बीच चौराहे पर जूते लगाने चाहिए साला दुनिया को उपदेश देता है हरामी खुद गद्दारी करता कर्मचारियों के पेट पर लात मार रहा हैं हरामजादो कुत्ते भी नहीं सूंघेगे मरने के बाद मादरचोदो बहुत अति मचा रखी है।
वेज बोर्ड देने मैं क्यों तुम्हारी माँ मर रही है सालो हरामजादो कुत्तो गांडूओ दरवाजों रांडवाजो चुल्लू भर पानी मैं डूब मरो इस बार तो राजस्थान मैं खूब पानी बरस है गुलबकोठरी कुत्ते तेरी। …………साले कीड़े पड़ेंगे हरामजादे हरामी के औलादो। तुम्हारा सर्वनाश हो कुत्तो तुम हमारे पेट पर लात मार रहे हो एक दिन तुम भी सड़क पर भीख मांगोगे कुत्तो।
tupul dey
August 3, 2015 at 5:23 am
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Aapka dost
August 4, 2015 at 1:39 am
Mera bhart mahan