इसे शिक्षा का व्यवसायीकरण कहें। युवा पीढ़ी का भटकाव या परिजनों की निगरानी में न रहना या फिर भ्रष्ट होती जा रही व्यवस्था में निराशा का माहौल वजह जो भी हो दूरदराज शहरों में भविष्य बनाने जा रहे युवाओं में से काफी मौत को गले लगा रहे हैं। रात-दिन मेहनत कर पैसे जुटाने वाले परिजन सदमे में जा रहे हैं। स्थिति यह है कि एजुकेशन हब के नाम से प्रसिद्ध हो चुके राजस्थान के कोटा में इस साल 16 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की है। ये बात और दर्दनाक है कि इनमें से अधिकतर बिहार के हैं। हाजीपुर के अंकित गुप्ता ने चंबल नदी में छलांग लगाकर इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि वह मेडिकल फील्ड में जाने के अपने माता-पिता के सपने को पूरा नहीं कर पा रहा था।
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अखबार मालिकों और लेबर अफसरों में फिर एका, दोनों मिल कर करा रहे 20J के कागजों पर साइन (देखें प्रमाण)
इस देश में बड़े लोग अपने हित में एक से एक फंडे निकालते रहते हैं और गरीब आदमी न्याय के लिए टुकुर टुकुर ताकता रह जाता है. मीडियाकर्मियों को बेहतर सेलरी और भत्ता देने के लिए बनाई गई सरकारी मजीठिया वेज बोर्ड के रिपोर्ट को लागू करने के केंद्र सरकार के कानूनी और सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक आदेश को धता बताने के लिए मीडिया मालिकों ने झूठ दर झूठ बोलने का काम शुरू कर दिया है. किस तरह पैसे बचा लिए जाएं और अपने कर्मियों को कम दाम में काम करने को मजबूर किया जाता रहे, इसके लिए रोजाना ये अखबार मालिक नए तरीके निकाल रहे हैं.
भास्कर कोटा के निष्कासित कर्मियों ने आधी लड़ाई जीती, प्रबंधन भत्ता देने को मजबूर हुआ
कोटा (राजस्थान) : बुधवार को दैनिक भास्कर कोटा के संघर्षरत कर्मचारियों की लेबर कार्यालय में तीसरी बार समझौता वार्ता हुई। भास्कर कोटा के एडमिन हेड रामगोपाल सिंह चौहान और लीगल ऐडवाइजर नीतिन अग्रवाल की उपस्थिति में वार्ता सुबह 11.30 बजे शुरू हुई। बातचीत प्रारंभ होते ही भास्कर के अधिकारियों को लिखित में जवाब न लाने के कारण अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ा। काफी मिन्नत के बाद लिखित में जवाब प्रस्तुत करने के लिए समझौता अधिकारी ने लंच के बाद का टाइम दिया। अखबार प्रबंधन के प्रतिनिधियों ने धमकी भरे अंदाज में एक सप्ताह के अन्दर सस्पेंशन अलाउंस देने का मौखिक आश्वासन देते हुए कहा कि अब इनको हम परेशान करेंगे।
समझौता वार्ता में शामिल हुए भास्कर कोटा के टर्मिनेट एवं सस्पेंड कर्मचारी
कोटा भास्कर गंदी हरकत पर उतरा, मजीठिया मांग रहे कर्मियों पर दर्ज कराई चोरी की रिपोर्ट
कोटा (राजस्थान) : मजीठिया मामले पर समझौता वार्ता के लिए श्रम कार्यालय में उपस्थित आधा दर्जन से अधिक कर्मचारियों के खिलाफ दैनिक भास्कर प्रबंधन ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दी है। एफआइआर से पहले श्रम कार्यालय में प्रबंधन पक्ष के वकील ने उनसे दुर्व्यवहार करते हुए उन पर चोरी के आरोप लगाए। इससे कर्मचारियों में रोष है, साथ ही अपने साथ उन्होंने किसी बड़ी अनहोनी का अंदेशा भी जताया है।
आंदोलनकारी भास्कर कर्मियों ने राज्यपाल कल्याण सिंह को ज्ञापन दिया
दैनिक भास्कर कोटा के पीड़ित कर्मचारी भास्कर प्रबंधन के खिलाफ एकजुट होकर दिनांक एक मार्च 2015 को दोपहर 1:30 बजे राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह से सर्किट हाउस कोटा में मिले और ज्ञापन दिया। ज्ञापन में विस्तार से बताया गया है कि दैनिक भास्कर किस तरह सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना कर रहा है और वर्षों से कार्यरत कर्मठ कर्मचारियों व उनके परिवार वालों के साथ अन्याय कर रहा है।
मस्तमौला पत्रकार रजनीश रोहिल्ला का साथ और गीत-संगीत भरी शाम… आप भी आनंद लीजिए
रजनीश रोहिल्ला अजमेर के पत्रकार हैं. दैनिक भास्कर में काम करते हुए एक रोज जब सभी से कहा गया कि इस कागज पर साइन कर दीजिए तो सबने चुपचाप साइन कर दिया लेकिन रजनीश रोहिल्ला ने साइन करने से न सिर्फ मना किया बल्कि जो कागज उन्हें साइन करने के लिए दिया गया था, उसकी फोटोकापी कराकर अपने पास रख लिया. इस कागज पर लिखा हुआ था कि हमें मजीठिया वेज बोर्ड नहीं चाहिए और हम लोग अपनी सेलरी से संतुष्ट हैं. कुछ इसी टाइप की बातें थी जिसके जरिए प्रबंधन मीडियाकर्मियों का हक मारकर अपने को कागजी व कानूनी रूप से सुरक्षित बनाना चाह रहा था.
बगावत की आग दैनिक भास्कर तक पहुंची, कोटा में हड़ताल
मजीठिया वेज बोर्ड पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने वाले मीडियाकर्मियों के प्रताड़ना का सिलसिला तेज हो गया है. दैनिक जागरण नोएडा के कर्मियों ने पिछले दिनों इसी तरह के प्रताड़ना के खिलाफ एकजुट होकर हड़ताल कर दिया था और मैनेजमेंट को झुकाने में सफलता हासिल की थी. ताजी खबर दैनिक भास्कर से है. यहां भी मीडियाकर्मियों को सुप्रीम कोर्ट जाने पर परेशान किया जाना जारी है. इसके जवाब में दैनिक भास्कर के कोटा के दर्जनों कर्मियों ने एकजुट होकर हड़ताल शुरू कर दिया है.