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साहित्य

उपन्यास ‘इश्क़ इंक़लाब’ लव जिहाद के पीछे की साजिशें दिखाता है

क्या लव जिहाद का जवाब है ‘इश्क़ इंक़लाब’ उपन्यास…भोपाल में जन्मे हिंदू लड़के और मुस्लिम लड़की की प्रेम कहानी के पीछे का सच

भोपाल के पत्रकार और लेखक अमिताभ बुधौलिया अपने नये उपन्यास ‘इश्क़ इंक़लाब’ को लेकर फिर से चर्चा में हैं। इस उपन्यास की कहानी लव जिहाद के विवादास्पद विषय से जुड़ी है। यह संयोग है कि यह उपन्यास ऐसे वक्त में मार्केट में आया, जब देश में ‘लव जिहाद’ का मुद्दा गर्माया हुआ है। यूपी की तर्ज पर मध्य प्रदेश सरकार धर्मांतरण के लिए हो रहीं शादियों के खिलाफ कानून बनाने जा रहा है। हरियाणा सरकार भी ऐसा ही करने जा रही है। बता दें कि अमिताभ बुधौलिया के इससे पहले तीन दो अन्य उपन्यास-सत्ता परिवर्तन और उल्लू का पट्ठा भी चर्चाओं में रहे थे। इनका एक ग़ज़ल और कविताओं का संग्रह हसरतें जिंदाबाद भी प्रकाशित हो चुका है।

हिंदू लड़के और मुस्लिम लड़के की प्रेम कहानी
यह उपन्यास भोपाल के एक हिंदू लड़के और मुस्लिम लड़की की प्रेम कहानी है। कहा जा रहा है कि यह रियल स्टोरी है। हालांकि लेखक कहते हैं कि कहानियां हमारे आसपास के घटनाक्रमों को ही दिखाती हैं। हर कहानी सच्चाई के इर्द-गिर्द होती है। इसे रोचक बनाने कल्पनाओं की मदद ली जाती है। मेरठ(यूपी) के सन्मति प्रकाशन ने इसे प्रकाशित किया है।

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बाबरी मस्जिद टूटने के बाद की कहानी…
उपन्यास में मीडिया और राजनीति के गठबंधन और उससे पनपे षड्यंत्रों को दिखाया गया है। कहानी में हिंदू-मुस्लिमों के बीच जिन वजहों से खाइयां पैदा हुईं, उन्हें विस्तार से बताया गया है। उपन्यास में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद हिंदू और मुस्लिम बस्तियों में कैसे बदलाव आए, अपने लोग भी कैसे खून के प्यासे हो गए, कैसे दंगे भड़काए गए…उपन्यास में बखूबी दिखाया गया है।

कैसे लव को जिहाद बनाया जाता है
भोपाल के रहने वाले किरदार आफरीन और प्रभात की प्रेम कहानी की आड़ में दंगे कराने की कैसे साजिशें होती हैं, लव को जिहाद का रूप कैसे दिया जाता है, कहानी यही बताती है। नेता कैसे लव जिहाद को अपने राजनीतिक लाभ के लिए भुनाते हैं, धर्म की आड़ में अपनी फायदा ढूंढते धर्म गुरु और कथित मीडिया हाउसों की असलियत सामने लाता है यह उपन्यास। इस लव को जिहाद से बचाते हुए एक जर्नलिस्ट पिंकी और उसके प्रोफसर पति विनय को किन विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, इसके जरिये मौजूदा हालात को बयां किया गया है।

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उपन्यास पर फिल्म-टीवी और साहित्य की कई जानी-मानी शख्सियतों ने टिप्पणी दी है। इनमें जानी-मानी लेखिका इंदिरा दांगी, ख्यात कथाकार राजनारायण बोहरे, गीताश्री के अलावा अभिनेत्री आभा परमार, अभिनेता राजेंद्र गुप्ता, सुरेंद्र राजन, नरेंद्र गुप्ता, कृष्ण भट्ट, राकेश श्रीवास्तव, अनिरुद्ध दवे, हर्ष छाया और फिल्मेकर तारिक उमर खान शामिल हैं।

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