: मोदी सरकार की बदनामी का कारण बन रहा है DAVP : सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अन्तर्गत आने वाले भारत के सबसे बड़े भ्रष्ट व तानाशाही पूर्ण रवैया वाली सरकारी एजेंसी जिसे डीएवीपी कहा जाता है, ने पूरे देश के इम्पैनलमेंट किये गये समाचार पत्रों की लिस्ट 11 फरवरी 2015 को जारी की है. DIRECTORATE OF ADVERTISING AND VISUAL PUBLICITY यानि DAVP भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अन्तर्गत आता है. यह विभाग देश भर के हर छोटे व बड़े समाचार पत्रों को विज्ञापन हेतु इम्पैनल करता है. बडे अखबारों को छोडकर लघु व मध्यम समाचार पत्रों को साल भर में बड़ी मुश्किल से दो विज्ञापन देता है. वह भी 400 वर्गसेमी के.
विज्ञापन इम्पैनलमेंट कराने में रिश्वतखोरी का आलम यह है कि इम्पैनल के रेट बंध गये हैं. देश भर के लघु व मध्यम समाचार पत्रों में इस सरकारी एजेंसी के खिलाफ तीव्र रोष है. कांग्रेस सरकार के जाने के बाद उम्मीद बंधी थी कि मोदी सरकार में यह सरकारी एजेंसी सही चलेगी. परन्तु मोदी सरकार में इसकी तानाशाही नहीं रुक पायी है. लघु व मध्यम समाचार पत्रों को विज्ञापन नहीं, इम्पैनलमेंट कराने में भारी रिश्वतखोरी-पक्षपात, तानाशाही को झेलना पड़ता है. यह सब मोदी सरकार पर बदनुमा दाग है.
इस सरकारी एजेंसी के कारण मोदी सरकार को बदनाम होना पड़ रहा है. प्रधानमंत्री मोदी जब योजना आयोग को खत्म कर सकते हैं, तो क्या इस तानाशाही एजेंसी के लिए मोदी जी व केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री के पास कोई उपाय नहीं है. कांग्रेस सरकार में मैंने तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी को फेसबुक में ही खुला पत्र लिखकर अवगत कराया था कि डीएवीपी सरकारी एजेंसी के कारण पूरे देश में आपको बदनामी झेलनी पड़ रही है. चुनावों के दौरान यही साबित हुआ. इस कारण वह चुनावों में उतरने की हिम्मत तक नहीं कर सके.
मैं प्रधानमंत्री जी व सूचना प्रसारण मंत्री को अवगत कराना चाहता हूं कि इस बेलगाम तानाशाही एजेंसी पर रोक न लगायी गयी तो भाजपा सरकार को देशव्यापी अपयश का भागी बनना पड़ेगा और डीएवीपी में बैठे बेईमान अधिकारी मौज करते रहेंगे. देश के लघु व मध्यम समाचार पत्रों के प्रकाशक/सम्पादक मोदी सरकार से खिन्न होगें.
सादर
चन्द्रशेखर जोशी
उत्तराखण्ड प्रदेश अध्यक्ष
इंडियन फैडरेशन आफ स्माल एण्ड मीडियम न्यूज पेपर्स
नई दिल्ली
मेल- [email protected]
mob. 09412932030
akash akshay
February 18, 2015 at 12:43 pm
ये जीएवीपी में सभी नशे में रहते हैं. किसी को कुछ पता ही नहीं है, कि क्या हो रहा है। डीएवीपी अफसर समझ रहे हैं, दो कौड़ी के विजापन देकर सभी को खरीद लिया है। सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी मोहंती है, जो कि अखबार के एमपैनलमेंट के लिए फाइलें जमा करता है। न उसे बोलने का शऊर है, न ही व्यवहार करने का। उसे लगता है कि डीएवीपी वही चला रहा है, ठीक उसी तरह जिस तरह बैलगाड़ी के नीचे चलता कुत्ता सोचना है। वहां कोई भी कागजात ठिकाने पर नहीं रहता है, और जिसने पैसा दिया, उसके ही अखबार, चैनल का एमपैनलमेंट होता है। कभी कागज जमा करते हैं, तो साथ के अखबार फेंक देते हैं। अब जब तक उसे पैसे न खिलाओ, कोई काम नहीं करेगा। फिर मोहंती जैसे लोगों के कई दलाल भी डीएवीपी में घूम रहे हैं। इस विभाग को पूरी तरह से बंद कर, नए सिरे से कोई तरीका निकालना चाहिए।
sarafraj siddquee
February 18, 2015 at 12:49 pm
बिलकुल ये मोहंती तो दलाली करता ही है, साथ के दूसरे अफसर भी कम नहीं हैं। वहां दिन में कई चपरासी, अधिकारी सोते हुए मिल जाएंगे। सही आदमी प्रवेश करना चाहे, तो सिक्युरिटी गार्ड लगे रहते हैं, दलाल खुल कर घूमते हैं। उम्मीद थी कि नई सरकार में कम से कम वहां के भ्रष्टाचार पर तो अंकुश लगेगा, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। फिर यहां के दलालों को पैसा दे दो, तो फिर वापस लेना मुश्किल हो जाता है। उपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार मचा हुआ है। जो कमीशन दे रहे हैं, उन्हें ही विजापन जारी किए जाते हैं। यदी पैसा उनके पास पहुंचता रहे तो पूरा कैंपेन मिलता है, ऐसा लोग बताते हैं।
Ramsharan Sharma
February 18, 2015 at 1:01 pm
यहां के तो पिछले 10 साल का रिकॉर्ड निकाल कर जाच करना चाहिए। कई भ्रष्टाचारियों की पोल खुलेगी। जिन अखबारों की 1000 प्रतियां भी नहीं छपतीं, उन्हें रंगीन विजापन हर महीने जारी किए जाते हैं। क्यों। जो अखबार, एमपैनलमेंट के लायक नहीं है, उनका एमपैनलमेंट किया जा रहा है। जो व्यक्ति, सही तरीके से पूरे कागज जमा कर रहा है, उसका नामांकन कई सालों से निरस्त किया जाता रहा है। मैंने भी पूरे कागज जमा किए थे, तो पता लगा कि साथ के अखबार ही गुमा दिए गए क्योंकि मैंने रिश्वत नहीं दी थी।
Acharya Vinod Gupta
February 18, 2015 at 1:25 pm
डीएवीपी में एमपैनलमेंट के लिए जमा किए जाने वाले अखबारों के पहले दिन से ही दलाल सक्रिय हो जाते हैं। खासतौर पर अंतिम दिन तो जबर्दस्त भगदड़ मचती है। डीएवीपी को पता ही नहीं रहता कि वे कौन से कागज जमा कर रहे हैं। उनके प्रिय दलाल कई-कई अखबारों के सेट जमा करते हैं और वास्तविक लोग पीछे कड़े रहते हैं। वहां भारी अराजकता की स्थिति रहती है, लेकिन कोई सिक्युरिटी गार्ड वहां नहीं रहा। और जब वरिष्ठ अफसरों से कहें तो उनका जवाब होता है कि आखरी दिन क्यों आए, जमा करने। तो फिर डीएवीपी को अंतिम दिन ही समाप्त कर देना चाहिए। गुमे कागज, अफसरों के कमरों में पड़े रहते हैं, लेकिन वे बेशर्मों की तरह नकारा बने बैठे रहते हैं। पूछो तो कहेंगे कि आपने ही जमा नहीं कराया है। पूरी तरह झूठ, नकारापन, दलाली और भ्ष्टाचार के आधार पर चल रहा है डीएवीपी। सभी अफसर, एक ही थैली के चट्टे बट्टे बने हुए हैं। .
Rajkumar Ahuja
February 18, 2015 at 2:28 pm
मोहंती को सस्पेंड करो, वही है सरगना, पूरे खेल का। उसके चेले दलालों को भी ढ़ूंढ़ो
Rajkumar Ahuja
February 18, 2015 at 2:29 pm
मोहंती को सस्पेंड करो। उसके साथी दलालों को भी ढ़ूंड़ो।
sanju
February 19, 2015 at 8:16 am
pahle to davp jari karne ke pahele sarkar ko dekhna chahia ke matra 100-200 copy print karaker 50-60 hazar ka circulation dikhaker desh ko loot rahe hai