यशवंत सिंह-
दयाशंकर मिश्रा तो ग़ज़ब का केस निकला। राहुल गांधी पर किताब लिख क्रांति का बिगुल फूंकने का दावा करने वाले इस शख़्स की एक के बाद एक कहानियां सामने आ रही हैं। टॉप पोस्ट पर बैठा रहा ये आदमी ग़ैर-पेशेवर निकला। और महिला विरोधी भी। कंपनी के संसाधनों का कैसे दुरुपयोग करना है, कोई इससे सीखे।
न्यूज़18 हिन्दी डिजिटल हेड के बतौर दया शंकर ने जो जो कांड किया-कराया है, उसकी कुछ बानगी पेश है-
• इन महोदय ने ख़ुद की किताब लिखने के लिए अपने परिवार, दोस्तों और एक ही जाति के लोगों को तो नियुक्त किया ही, न्यूज़रूम और मीडिया कंपनी को अंधेरे में रखते हुए एमपी में अपने गृहनगर में परिजनों की देखभाल के लिए कंपनी के पेरोल पर कई लोगों को भी नियुक्त किया। ये लोग दया के माता-पिता की देख भाल के अलावा परिवार का निजी काम करते थे।
• दया ने एक शख़्स को स्पीकरशिप असाइनमेंट दिलाने के लिए नौकरी पर रखा था। इस शख्स का काम दया को सार्वजनिक मंचों पर बोलने का मौका दिलाना था। यह सब कंपनी को बताए बिना किया।
• न्यूजरूम में एक रिपोर्टर को सिर्फ दया के घर पर रोजाना सब्जियां और दूध पहुंचाने के लिए रखा गया था।
• न्यूज़रूम में दया की एक टीम थी। इस टीम के लोग महिलाओं को तरह-तरह से परेशान करते थे। जो महिला इस टीम की शिकायत करती, उस पर दया भी कोई दया नहीं करता। आफिस की कुछ महिलाएं जब छिछोरी हरकतों से दुखी होकर शिकायत करने को तैयार हुईं तो दया ने एक बड़ा खेल कर अपनी टीम को बचा लिया।
• पीड़ित महिलाएं पॉश (posh) एक्ट (प्रोटेक्शन ऑफ सेक्सुअल हैरेसमेंट) के तहत शिकायत दर्ज कराना चाहती थीं लेकिन दया ने पहले तो उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी। जब इन महिलाओं ने जोर दिया, तो दया ने अपनी फर्जी पॉश कमेटी (अपने लोगों के साथ) बनाई और एक फर्जी जांच कर दी। इसमें अपनी चहेती दो महिलाओं और टीम के चार पुरुषों को शामिल कर जाँच का फुल नाटक किया। बाद में उन्होंने इन पीड़ित महिलाओं से कहा कि जांच हो चुकी है और पुरुष सहयोगियों के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। उन्होंने इन महिलाओं को यह भी सलाह दी कि वे इसे उच्च प्रबंधन के पास न ले जाएं क्योंकि यह असली पॉश (posh) समिति थी। इस तरह दया एंड टीम ने एक बड़ा छल कर कंपनी प्रबंधन और वास्तविक पॉश समिति को शिकायतों के बारे में जानने नहीं दिया।
• दया ने न केवल इन महिलाओं को अपमान सहने दिया बल्कि अपनी कोर टीम को भी महिलाओं पर अनुचित टिप्पणियाँ करने की खुली छूट दे दी।
उपरोक्त प्रकरण पर किसी को कुछ कहना है तो स्वागत है। [email protected] पर मेल करें। नाम-पहचान गोपनीय रखा जाएगा।
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