भारतीय सैनिकों के शव के साथ बर्बरता की घटना के बाद सेना ने कोई कार्रवाई तो नहीं की लेकिन दैनिक जागरण और इंडिया टीवी के मालिक द्वय संजय गुप्ता व रजत शर्मा अपनी अपनी ‘तोपों’ से ऐसे गोले दागे कि पाकिस्तानी चौकियां तबाह हो गई और ढेर सारे पाकिस्तानी सैनिक मारे गए. अरे भाई जब भारतीय सेना ने मना कर दिया है उसकी तरफ से कोई गोले नहीं दागे गए और न ही उनने किसी पाकिस्तानी सैनिक को मारा तो दैनिक जागरण ने कैसे छाप दिया- ‘भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए दो सैनिकों के बदले दस मारे और तमाम बंकर उड़ा दिए!’
फिर इंडिया टीवी ने कैसे इसी खबर को जोरशोर से प्रसारित करना शुरू कर दिया! सेना के मामले में भी झूठी खबरें गढ़कर इस अखबार और चैनल ने झूठी पत्रकारिता का नया प्रतिमान गढ़ दिया है. दैनिक जागरण और इंडिया टीवी ने जो कुछ छापा-दिखाया उसका असर ये हुआ कि दूसरे चैनल भी इसी झूठी खबर को चलाने दिखाने लगे. जी न्यूज से लेकर एबीपी न्यूज और आजतक ने भी पाकिस्तानी चौकियों को तबाह करने की न्यूज जमकर चलाई जबकि बाद में सेना ने वक्तव्य दिया कि उसने कोई कार्रवाई नहीं की है. इसको लेकर फेसबुक पर तीखी प्रतिक्रिया है.
वरिष्ठ पत्रकार Sheetal P Singh लिखते हैं : मुँह तोड़ जवाब दे दिया. पार्टटाइम रक्षा मंत्री अरुन जेटली के मित्र चैनल इंडिया टीवी ने दे दिया. दो बंकर तबाह भी कर दिये. दिल्ली की सड़क पर खड़े संवाददाता मनीष प्रसाद की बार्डर से लाइव रिपोर्ट. अभी जी न्यूज़ और सुदर्शन न्यूज़ नहीं देख सका, हो सकता है लाहौर ख़ाली हो रहा हो! आप लोग चैन से सोइये.
एक अन्य पत्रकार Dilip Khan के मुताबिक : फिर से झूठ बोला मीडिया। देश में मीडिया मोदी सरकार का प्रवक्ता बन गया है। युद्धोन्माद की सवारी कर रहा है मीडिया। सरहद पर दो सैनिकों की हत्या हुई। टीवी/अख़बारों ने चंद घंटे बाद ये दावा किया कि भारत ने जवाबी कार्रवाई की, जिसमें पाकिस्तान के दो बंकर उड़ा दिए गए और सात पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया गया। भारतीय सेना ने इनकार कर दिया। कह दिया कि ये झूठ है। कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सवाल है कि मीडिया ने फिर किसके इशारे पर “जवाबी कार्रवाई” की ख़बर चलाई? सरकार के कहने पर? हथियार लॉबी के कहने पर? बड़ी मूंछों वाले रिटायर्ड “टीवी जनरलों” के कहने पर? आज वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे है। पिछले हफ़्ते रिपोर्ट्स विदाउट बॉर्डर्स ने प्रेस फ्रीडम इनडैक्स जारी किया, जिसमें भारत 180 देशों की सूची में 136वें नंबर पर आया। भारतीय मीडिया के इस हाल के लिए “मोदी नैशनलिज़्म” को कारण बताया गया। दूसरा कारण बताया गया था “सेल्फ़ सेंसरशिप” को। आज फिर मीडिया के ये दोनों लक्षण सामने आ गए। आप कम टीवी देखा कीजिए। दिमाग़ में झूठ और उन्माद के अलावा ये लोग और कुछ नहीं भरेंगे। मीडिया में काम करने वाले आपसे कम पढ़े-लिखे हैं। हां, धूर्त आपसे ज़्यादा हैं।
समालोचक Jagadishwar Chaturvedi कहते हैं- सेना कह रही है हमने पाक पर कोई हमला नहीं किया,लेकिन सारे मीडिया ने कहा सेना ने पाक पर हमला किया। सवाल यह है मीडिया खबरें कहाँ से ला रहा है ? हाल ही की इस घटना ने साफ कर दिया है कि आरएसएस के खबरों के कारख़ाने यानी संघी चंडूखाने से मीडिया सीधे खबरें ले रहा है और आँखें बंद करके चला रहा है। चंडूखाने की खबरें जब सभी माध्यमों को अपनी पकड में ले लें तो समझ सकते हैं कि हमारे देश के अंदर किस तरह का देश बनाया जा रहा है।अब भारत को झूठी खबरों के देश के रूप में जाना जाएगा। चंडूखाने और मीडिया के अंतस्संबंध के इस मॉडल को सीआईए के प्रचारतंत्र से सीधे नकल करके तैयार किया गया है।
लखनऊ के पत्रकार Naved Shikoh लिखते हैं- “पकिस्तान की सैन्य चौकियां ध्वस्त, सात पाक सैनिक मारे गये”. ये खबर है या एडवरटीजमेन्ट। कुछ अखबारों/चैनलो में आयी ये खबर, और कुछ में बिलकुल भी नही आयी। ऐसे तो एडवरटीजमेन्ट छपते हैं। किसी को ऐड मिल गया किसी को नहीं मिला। हो सकता है कि कुछ और अख़बारों और चैनलों ने भी यह हरक़त की है। पाठकों से निवेदन है कि उनके बारे में मीडिया विजिल को बताएँ। चूँकि हमारे पास सिर्फ़ इन्हीं दो के प्रमाण हैं, इसलिए इनके बारे में ही लिखा जा रहा है। सेना की कार्रवाई के बारे में झूठी रपटें पत्रकारिता ही नहीं भारतीय सेना के शौर्य का भी अपमान है।