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सेलरी बढ़ाने की बात करने पर नौकरी से निकाल दिया, फोटो जर्नलिस्ट ने दी एनबीटी मैनेजमेंट को बददुआ!

नमस्कार दोस्तों

मैं मुकेश मोंडल! पिछले 20 सालों से फरीदाबाद में प्रिंट मीडिया में हूं। मुझे फोटो खींचने का शौक रहा है। बाद में फोटोग्राफी को अपना पेशा बना लिया और प्रिंट मीडिया में 2002 में आया। बीए पास करने के बाद सबसे पहले हरिभूमि पेपर से जुड़ा।

हरिभूमि के बाद दैनिक जागरण। इसके बाद अमर उजाला। फिर पिछले 15 सालों से एनबीटी फरीदाबाद से जुड़ा हुआ था।

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एनबीटी ज्वाइन करते समय मेरी सैलरी 17800 रुपये तय की गई। ये भी आश्वासन दिया गया कि आने वाले समय में आपका काम अच्छा रहा तो स्टिंगर की जगह स्टाफर बना दिए जाएंगे।

नौकरी करते करते मुझे 15 साल बीत गए। बहुत प्रयास किया लेकिन दूसरी जगह नौकरी नहीं मिल पाई। मिली भी तो सैलरी यहां से भी कम। इसलिए यहीं रहा। काम मेरा अच्छा था। सब तारीफ भी करते रहते थे। लेकिन जब सैलरी की बात करो तो नौकरी छोड़ने का बोल देते थे।

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कोराना काल से पहले तक मेरी सैलरी 21000 रुपये तक पहुंच गई थी। फिर भी मैं करता रहा नौकरी, इस उम्मीद में कि क्या पता कभी तो मुझे स्टाफर बना देंगे। या फिर जब तक दूसरी जगह नौकरी नहीं मिलती तो यहीं ठीक है।

इसके बाद कोराना का हवाला देकर एनबीटी मैनेजमेंट ने मेरी सैलरी काटकर 15000 रुपये कर दी। दस बार बोला गिड़गिड़ाया लेकिन कंपनी ने कहा- नौकरी करनी है तो सब सहना होगा।

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करता रहा नौकरी चुपचाप, सिर्फ 15000 लेकर। मुझे बोला गया काम पूरी तरह परफेक्ट चाहिए।

पहले कैमरा दिया गया लेकिन वो खराब हो गया। मैंने अपने हक के लिए ऊपर लेवल पर बात करनी शुरू की। अपनी पीड़ा बताई कि मोबाइल से कैसे फोटो क्लिक करें, 15 हजार में से तो 5 हजार रुपये पेट्रोल, मोबाइल और बाइक सर्विस में ही निकल जाते हैं। 10000 रुपये में क्या घर चल जाएगा?

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जब मैंने कैमरा देने, सेलरी बढ़ाने की बात की तो अचानक मुझे निकाल दिया गया। इस एनबीटी में कुछ लोग ऐसे बैठे हैं जिनके अंदर इंसानियत बिल्कुल मर चुकी है। यहां स्टिंगर और फ्रीलांसर को ये लोग इंसान समझते ही नहीं है। उसकी मजबूरी की फायदा उठाते है। उन्हें नौकरी से निकालने का डर दिखाकर काम करवाते रहते हैं।

यही सब करने के लिए यहां कुछ लोगों को बॉस बनाकर बैठा दिया गया है। एनबीटी के सर्वेसर्वा तक किसी की समस्या को जाने ही नहीं दिया जाता। अगर कोई अपनी सैलरी बढ़ाने की मांग करता है और अपने हक के लिए लड़ता है तो उसके कामों में कमी निकालने लगते हैं, उसकी बाई लाइन रोक देते हैं, उसे मानसिक प्रताड़ना देना शुरू कर देते हैं। ऐसा ही कुछ इन लोगों ने मेरे साथ किया।

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ऊपर वाले की लाठी में बड़ा दम है। सबकों यहीं अपने कर्मों की सजा मिलती है। मैं तो फिर भी फोटो जर्नलिस्ट हूं। कहीं न कहीं काम कर लूंगा। फिलहाल मैं सोशल मीडिया पर अपना काम कर ले रहा हूं। इस सोशल मीडिया ने आज के समय में मीडिया वालों को बढ़िया प्लेटफार्म दिया है।

धन्यवाद!

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मुकेश मोंडल
[email protected]

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1 Comment

1 Comment

  1. Ajay Kumar

    October 11, 2022 at 8:13 am

    ये सब बहुत गलत हो रहा है। हमारे ही कुछ साथी इस तरह की हरकत करते हैं। वो ये नहीं सोच रहे की कल ये सब उनके साथ भी हो सकता है। Same on you guys

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