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सुख-दुख

इन सात मिथिला वासियों ने गंगोत्री से रामेश्वरम की पैदल यात्रा की, रास्ते भर खुद पकाते-खाते रहे!

Pankaj Prasoon-

योग और योगी के बारे में आपने खूब सुना होगा लेकिन इसके इतर हठयोग भी होता है। इस तस्वीर में 7 चेहरे नजर आ रहे होंगे और ये सभी हठयोगी हैं। गंगोत्री से रामेश्वरम की दूरी 3300 किमी से अधिक ही कहा जाए। दरभंगा से 1 जून को 7 सद्भावना कांवड़ पदयात्रियों का जत्था रवाना हुआ और हरिद्वार ऋषिकेश होते हुए मां गंगा के उद्गम स्थल गंगोत्री धाम पहुंचा। गंगोत्री में गंगा मैय्या का आशीर्वाद व कांवड़ में जल भरते हुए तीर्थयात्रियों को जत्था निकल पड़ा अपने लक्ष्य रामेश्वरम धाम की तरफ।

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परम श्रद्धेय आदरणीय मिथिला के गौरव, साहित्यकार व प्रसिद्ध उद्घोषक Manikant Jha सर के नेतृत्व में इस कांवड़ यात्रा में दरभंगा के डॉ० बासुकि नाथ झा, हरिना, झंझारपुर, मधुबनी के चिरंजीव मिश्र, भीषम टोल, कछुआ, दरभंगा के श्याम राय, रतवारा, मुजफ्फरपुर के आशुतोष कुमार एवं दड़िमा, दरभंगा के प्रभात झा शामिल हैं। उत्तराखंड से यात्रा की शुरुआत हुई और इसके बाद उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना,आंध्र प्रदेश के बाद आज दिनांक 18 सितंबर को 107 दिनों की कांवड़ यात्रा अपने मंजिल तमिलनाडु के रामेश्वरम तक पहुंच चुकी है। जंगल-पहाड़-नदी-नाले, जंगली जानवर, पथरीले रास्ते को पार करते हुए बिना थके इतनी लंबी पदयात्रा करना आसान नहीं होता है लेकिन देवाधिदेव महादेव की कृपा हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं होता है।

ये भी जान लीजिए, इस यात्रा के दौरान इन लोगों ने ना तो किसी होटल या ढाबे में खाना खाया बल्कि #स्वपाकी मतलब खुद से खाना बनाकर ही भोजन करते रहे। रास्ते में कहीं मंदिर या धर्मशाला में रात्रि विश्राम और फिर सुबह कांवड़ लेकर बढ़ते जाना….भाषा की भी समस्या हुई…लेकिन वो कहते हैं ना कि दुर्गम रास्तों को भी महादेव सुगम बना देते हैं तो इस पूरी यात्रा के दौरान हजारों लोगों से इस पूरे जत्थे को संवाद करने का अवसर मिला। रास्ते में अनेक श्रद्धालुओं की शुभकामनाएं मिलती रही। #मिथिला के लोग अगर हठ पर उतर जाएं तो फिर भगवान से भी बात मनवा लेते हैं और ये बात मैं मजाक में नहीं कह रहा हूं।

अनेक ऐसे लोगों को जानता हूं जिन्होंने अपनी मनौती की खातिर देवघर में महीनों रुककर बाबा के दरबार में मानो धरना ही दे दिया और फिर मनवांछित फल प्राप्त करके ही वहां से आते थे। आदरणीय मणिकांत सर और उनकी समस्त टीम को सादर चरण स्पर्श। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर संपूर्ण देश और दुनिया में सद्भावना का संदेश देने हेतु आपका ये यज्ञ निर्विघ्न संपन्न हुआ इसके हेतु आप सभी को हार्दिक हार्दिक बधाई। अगली बार दरभंगा आने पर आप जैसे हठयोगी का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद ले सकूं यही कामना करता हूं। बाबा रामेश्वरनाथ महादेव की जय-जय…आप सभी ने एक बार फिर मिथिला का नाम ऊंचा करने का काम किया है। हर हर महादेव

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