Pankaj Chaturvedi : मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार में पत्रकारिता के विद्यार्थियों को पढ़ाई जाने वाली एक किताब में महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे को महापुरुष बता कर पढ़ाया जा रहा है । देश के भावी पत्रकारों को पढ़ाई जाने वाली किताबें भी देश की बदली हुई हवा के मुताबिक ढाल कर बनाई जाने लगी है। जिसका ताजा उदाहरण माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की पत्रकारिता पुस्तक में देखा जा सकता है।
इस मुद्दे को लेकर गुरुवार को मध्यप्रदेश विधानसभा में भारी हंगामा हुआ। विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर सरकार को निशाना बनाया। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सदन में यह भी बताया कि इस यूनिवर्सिटी के एक शोधछात्र ने अपने शोधपत्र में नाथूराम गोडसे को महापुरुष बताया है।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, उन्होंने कहा कि इस किताब के लेखक मोनिका वर्मा और सुरेंद्र पाल हैं। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और सत्तापक्ष के सदस्यों के बीच जमकर नोक-झोंक भी हुयी.
वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी की एफबी वॉल से.
Comments on “एमपी में पत्रकारिता के छात्र हत्यारे नाथूराम गोडसे को महापुरुष के रूप में पढ़ रहे”
आप लोग बिना पुस्तक पढ़े मेरी और डॉ. मोनिका वर्मा की जम कर मानहानि कर रहे हैं पुस्तक सिर्फ 150 रुपये की है.. मंगा कर पहले पढ़ तो लीजिए. आपकी आंखों पर चढ़ी हुई चर्बी शायद कुछ पिघल जाए. आप समझदार लगते हैं कम से कम तथ्यों की जांच तो कीजिए बदनामी करने की मुहिम छेड़ने से पहले… जिन पंकज चतुर्वेदी की वाल से आपने ये टिप्पणी ली है उन्होने खुद अब अपनी वाल से हटा ली है आपका क्या इरादा है यशवंत जी निवेदन है कि बदनामी करने से पहले कृपया किताब पढ़ लें
आप लोग बिना पुस्तक पढ़े मेरी और डॉ. मोनिका वर्मा की जम कर मानहानि कर रहे हैं। यशवंत भाई पुस्तक सिर्फ 150 रुपये की है.. मंगा कर पहले पढ़ तो लीजिए, आपकी आंखों पर चढ़ी हुई चर्बी शायद कुछ पिघल जाए. आप समझदार लगते हैं कम से कम तथ्यों की जांच तो कीजिए बदनामी करने की मुहिम छेड़ने से पहले.. या फिर पूरा समाचार डालिए जिसमें विधानसभा में अजय सिंह द्वारा उठाए गए गलत प्रश्न को ही खारिज किया गया है… क्योंकि किताब में नाथूराम गोंड लिखा है ना कि गोडसे । अब पंकज चतुर्वेदी, जिनकी वॉल से आपने इस पोस्ट को उठाया है, उन्होंने स्वयं अपनी वॉल से इसे हटा लिया है। इस प्रकार की भ्रामक जानकारी से ना केवल हमारी छवि पर विपरीत असर पड़ता है बल्कि आपकी विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न लगता है। धन्यवाद।