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पत्रकार लियाकत मंसूरी का उपन्यास ‘मुझे उड़ने दो’

मेरठ। मेरठ के पत्रकार लियाकत मंसूरी का लिखा गया उपन्यास ‘मुझे उड़ने दो’ऑनर किलिंग पर आधारित है। ये लियाकत का पहला उपन्यास है जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सामाजिक स्थिति को लेकर लिखा गया है। इस नॉविल की कहानी में लेखक ने 1990 का वह दौर दर्शाया है, जब प्यार का इकरार करने के लिए खतों का सहारा लिया जाता था।

कई दशकों पूर्व ऑनर किलिंग की घटनाओं में इजाफा हुआ तो पश्चिम उत्तर प्रदेश में प्रेम की सजा मौत देने का सिलसिला काफी चला। अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बचाने के नाम पर ऑनर किलिंग की घटनाओं की श्रंखला बनती रही है। ग्रामीण अंचल में ऑनर किलिंग की घटनाएं अधिक हुई, जो वर्तमान में भी होती रहती है। यह बात दीगर है कि ऐसे अपराध अभिलेखों में शत-प्रतिशत दर्ज नहीं होते हैं। दरअसल, कानून के रखवाले ऐसी घटनाओं के पंजीकरण से ही गुरेज करते हैं। कानून के रखवाले वारदात के बाद साक्ष्य के अभाव का रोना रोकर केस रजिस्टर्ड करने के बजाए ऑनर किलिंग के अपराध की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने का काम करते हैं। ऑनर किलिंग की वारदातों का अतीत किसी से छिपा नहीं है। प्रेम की सजा मौत तजवीज करने वाले अपनी झूठी शान की खातिर हत्या जैसे जघन्य अपराध को आसान समझ बैठते है। यह सरासर निंदनीय है। कत्ल करना किसी भी नजरिए से उचित नहीं ठहराया जा सकता।

‘मुझे उड़ने दो’ उपन्यास में पत्रकार लियाकत मंसूरी ने समाज के बीच खड़े इस ज्वलंत मुद्दे का सटीक चित्रण किया है। साथ ही इस उपन्यास में सामाजिक सौहार्द के खतरे, कुरीतियां और ग्रामीण अंचल में प्रेम को लेकर रूढ़िवादी नजरिया बेहद सादगी के साथ प्रस्तुत की है। उपन्यास में विलुप्त हो रहे खतों-किताबत के सिलसिले का वर्णन नई नस्ल के लिए अद्भुत है। अन्य कई पहलुओं को भी स्टीक अंदाज में उठाया गया है।

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लेखक ने अपने उपन्यास के माध्यम से ऑनर किलिंग के मुद्दे को उठाकर बेटी बचाओ अभियान के प्रति जागरूकता लाने का भी काम किया है। इस उपन्यास के केंद्र में दो प्रसंग है, एक प्रेम तो दूसरा सामाजिक विद्रूपता। लेखक ने अपनी रचनाओं में बहुत सीधे और साफ शब्दों में समाज की सच्चाई को व्यक्त किया है।

लियाकत मंसूरी मेरठ में दैनिक भास्कर के जिला प्रभारी है। वे बताते हैं-

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उपन्यास लिखने का विचार काफी समय से था, लेकिन वक्त नहीं मिल रहा था। लॉकडाउन लगा तो फिर वक्त ही वक्त था। जब लिखने बैठा तो बस ‘मुझे उड़ने दो’ का पूरा करके ही सांस लिया। आपको बता दूं ‘मुझे उड़ने दो’ को जब पढ़ना शुरू करेंगे, तो आप रूकेंगे नहीं, इसका पूरा पढ़कर ही उठेंगे। ‘मुझे उड़ने दो’ पहला भाग है। इसका दूसरा भाग ‘छू लिया आसमां’ प्रेस में है, जिसे दीवाली के बाद पब्लिश करने का विचार है। ‘छू लिया आसमां’ को वहीं से शुरू किया गया है, जहां ‘मुझे उड़ने दो’ को समाप्त किया गया था। उनका तीसरा उपन्यास ‘शिफॉन’ भी लगभग पूरा हो चुका है, जो 2024 में होली के आस-पास पब्लिश होगा।

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