मजीठिया वेज बोर्ड पर सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के बाद महाराष्ट्र में सबसे बड़ा झटका लोकमत अखबार को लगा है। सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा लोकमत समूह में ठेका कर्मचारी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने 19 जून 2017 के आदेश में साफ कर दिया है कि ठेका कर्मचारियों को भी मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ मिलेगा। अब लोकमत प्रबंधन सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद सबसे ज्यादा सांसत में फंस गया है।
लोकमत श्रमिक संगठन के अध्यक्ष संजय पाटिल येवले ने इस खबर की पुष्टि करते हुए एक नई जानकारी दी है कि लोकमत समूह में लगभग 3000 कर्मचारी काम करते हैं जिनमे सिर्फ 20 प्रतिशत परमानेंट हैं, बाकी 80 परसेंट कांट्रेक्ट पर हैं। सुप्रीमकोर्ट के नए आदेश के बाद कंपनी ने अधिकांश कांट्रेक्ट कर्मचारियों का कांट्रेक्ट नवीनिकरण नहीं किया है। संजय पाटिल येवले के मुताबिक इन कांट्रेक्ट कर्मचारियों का कांट्रेक्ट 30 जून को खत्म हो गया मगर कंपनी एक सप्ताह बाद तक किसी का कांट्रेक्ट रिनुअल नही कर रही है बल्कि मजीठिया का लाभ देने से कैसे बचा जाए और नया कांट्रेक्ट किस तरीके का हो, इस पर कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ले रही है। उसके बाद ही नया कांट्रेक्ट किया जाएगा।
लोकमत समूह से उड़ती खबर ये भी आ रही है कि लोकमत ने कई कर्मचारियों को नए आदेश के बाद छुट्टी भी कर दिया है। अब इनमें से कई कर्मचारी मजीठिया की जंग में कूदने की तैयारी कर रहे हैं ताकि उनको उनका अधिकार मिले। आपको बता दें कि संजय पाटील येवले लोकमत श्रमिक संघटना के अध्यक्ष हैं और पिछले तीन साल से यह अखबार से बाहर हैं। यूनियन का मैटर लेबर, इंडस्ट्रीयल और हाइकोर्ट मे चल रहा है।
संजय पाटिल जब लोकमत में काम पर थे तो उन्होंने सिर्फ एक कर्मचारी को निकाले जाने पर दो दिन का असहयोग आंदोलन किया था। आपको बता दें कि लोकमत समूह मराठी दैनिक लोकमत, हिंदी दैनिक लोकमत समाचार और अंग्रेजी दैनिक लोकमत टाइम्स का प्रकाशन करता है। लोकमत समूह की यूनियन लोकमत श्रमिक संगठना ने ‘एक्चुअल वर्क एक्चुअल पे’ की मांग को लेकर प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा भी कर रखा है। फिलहाल सुप्रीमकोर्ट के नए आदेश के बाद प्रबंधन की सांस गले में अटक गई है।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
मुंबई
9322411335
Comments on “मजीठिया पर नए कोर्ट आर्डर के बाद लोकमत प्रबंधन ने 2400 मीडियाकर्मियों का कांट्रेक्ट रिनुअल लटकाया”
Sabhine Eksath Ladhna Chahiye.
Faisla bhi jald se jald hona chahiye.