Yashwant Singh : फेमिली प्रॉब्लम कितनी खतरनाक हो जाया करती हैं, यह एक आईपीएस के सुसाइड से जाहिर होता है। मेरे समेत वो सब भाग्यशाली हैं जिनके पास फेमिली तो है, लेकिन प्रॉब्लम नहीं। हमें छोटी-छोटी खुशियों-उपलब्धियों के लिए नेचर / प्रकृति के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए।
युवा आईपीएस अधिकारी सुरेंद्र दास के निधन के बाद उनके परिजनों का क्या हाल होगा, इसकी बस कल्पना भर की जा सकती है। कानपुर में एसपी सिटी के पद पर तैनात रहे आईपीएस अधिकारी सुरेंद्र दास ने पारिवारिक विवाद से परेशान होकर पांच दिन पहले सल्फास खा लिया था। आज 12:19 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया।
Neeti Vashisht : Uski wife ko to doosra mard mil jaayega. Par maa baap aur bahi beheno ko beta aur bhai nahee milega. So sorry. Mard ko bhi dard hota hai. but Pussy Lickers will not understand this.
Nowadays men are doing more suicides than women due to domestic voillence. You know why ? Women has all kinds of laws, police and leaders to support them. So they can easily blackmail and harass men because of these. Men has no help of any kind and no body listen him if get involved in domestic voilence.
No laws to protect them against women atrocities. They are put in jail on mere false allegation of domestic violence , rape, dowry. They are guilty till they prove them selves innocent. it is very hard to prove becuase of nexus between police, women organisation and leaders and lawyers. took years for them in courts. So they end up their lives to end all trubles. You know one IAS of BIhar suicide by train is the same kind.
Sanjaya Kumar Singh : ठीक है, समस्याएं गंभीर हो जाती हैं। पर आत्महत्या कोई इलाज नहीं है। आत्महत्या कमजोरी है, बीमारी भी कह सकते हैं। इसके लक्षण शुरू से होते हैं या मुमकिन है इसका संबंध जिस माहौल में विकास होता है उससे हो। मुझे लगता है कि बच्चों के बड़े होने के दौरान उन्हें मुश्किलों से निपटने के लिए भी तैयार करना चाहिए, उन्हें बताया जाना चाहिए कि जिन्दगी में मुश्किलें आएंगी ही। लड़कियां भावुक होती हैं उन्हें बताना चाहिए कि भावुकता में कोई आत्मघाती कदम न उठाएं। समस्याएं अपनी जगह हैं। उनसे निपटने के तरीके अपनी जगह।
आत्म हत्या कर लेना इन दोनों से बिल्कुल अलग है। पिछले दिनों बिहार के एक आईएएस अफसर ने भी रेल से कटकर आत्महत्या कर ली थी। दोनों मामलों में लग रहा है कि जिस लड़की से शादी हुई वह आजकल की जरूरतों के अनुसार दबंग रही होगी और पुरुष पहले की उम्मीद में गच्चा खा गए और उन्हें कोई रास्ता ही नजर नहीं आया (मेरा आकलन है, गलत हो सकता हूं)। यह स्थिति भी अच्छी नहीं है। लड़कों को भी भावनात्मक रूप से मजबूत होना चाहिए, बनाया जाना चाहिए।
Hemant Sharma : हर नौजवान का सपना होता हैं IAS/IPS बनना… कड़ी ट्रेनिंग के बाद भी लोग समस्याओं से हार जाते हैं और आत्मघात को चुन लेते हैं… बहुत ही विस्मय की बात है.
Navneet Mishra : बलिया के बेहद मामूली परिवार के जिस युवा ने आइपीएस बनने के लिए दिन-रात एक कर पढ़ाई की।सपना पूरा करने में जवानी झोंक दी।कठोर तपस्या के बाद कहीं जाकर अशोक स्तंभ वाली वर्दी पहनने का मौक़ा मिला। वह आइपीएस सिर्फ चार साल की नौकरी में ही ज़िंदगी से ऊब जाता है। सल्फ़ास की गोलियाँ खाकर जान दे देता है। सोच कर सिहर जाता हूँ वो कौन सी परिस्थिति थी, जिसने आइपीएस की कड़ी ट्रेनिंग लेने के बाद भी इस युवा को मानसिक तौर पर तोड़कर रख दिया। मौत को गले लगाने से पहले दिलोदिमाग़ पर क्या बीती होगी।
पिछले पांच दिन से कानपुर के अस्पताल में ज़िंदगी और मौत से जंग लड़ रहे 2014 बैच के यंग आइपीएस सुरेंद्र की मौत की खबर आई है। कानपुर के एसपी सिटी रहे सुरेंद्र की आत्महत्या के पीछे पत्नी से कहासुनी वजह बताई जा रही। पत्नी कानपुर में ही चिकित्सक हैं। बात सही है कि पद कोई भी हो मगर आदमी परिवार से ही हार जाता है। कितना दुखद है यूँ एक योग्य अफसर का पारिवारिक विवाद का ग्रास बन जाना।
Vinay Jaiswal : जिसका डर था, वही हुआ. अभी Yashwant Singh सर की प्रोफाइल से जानकारी मिली कि कानपुर पूर्वी के एसपी सुरेंद्र दास नहीं रहे। 12 बजकर 19 मिनट पर उनका देहावसान हुआ। उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूँ। उनके परिवार, दोस्तों और शुभचिंतकों को यह दुख सहने की हिम्मत मिले।
बिहार के आईएएस अधिकारी मुकेश कुमार और सुरेंद्र दास की तरह भारत में हर मिनट पर 8 पुरुष आत्महत्या का शिकार हो जाता है। यह दशा सोचनीय है, कुछ दिन पहले ही वैवाहिक जीवन मे पुरुष की प्रताड़ना पर साल भर पहले लिखा लेख शेयर किया था, पढ़ सकते हैं पुरुषों के लिये घरेलू ज़िंदगी की तरह से उन्हें आत्महत्या की ओर धकेल रही है।
बिहार के आईएएस मुकेश कुमार की आत्महत्या के मुश्किल से एक साल ही हुए होंगे, अब कानपुर पूर्वी के एसपी सुरेंद्र दास ने ज़हर खाकर आत्महत्या कर लिया। दोनों मामलों में समानता यह है कि दोनों की आत्महत्या की वजह घरेलू कलह रही। घरेलू कलह और इससे जुड़े कानूनी प्रावधान पुरुषों को नाउम्मीद कर रहे हैं। यह चिंता का विषय है।
Shiivaani Kulshresthhaa : आज आईपीएस सुरेन्द्र दास का निधन हो गया। अभी तक यही बात सामने आई कि पारिवारिक कलह के कारण आईपीएस ने सल्फास खा लिया था। इससे पहले बिहार के डीएम ने भी सुसाइड कर लिया था। मेरे साथ कई क्लास मेट सिविल सर्विस, स्टेट सर्विस और न्यायिक सेवा परीक्षा पास किये। उनके मां बाप तराजू लेकर बैठे कि कितने करोड़ों में तौल सकें। साथ की कई लड़कियां सलेक्ट नही हो पाई तो पिताजी ने दूल्हा खरीद दिया। दहेज मुक्त शादी वही हुई, जहां गैर जाति में प्रेम था और घरवाले तैयार नही थे तो दोनों लोगों ने शादी कर ली। वरना हर जगह पचास लाख से कम रुपया सुनने को नही मिला।
दुख इस बात का होता हैं कि जो मां बाप पालते हैं, वही अपने बेटे की बोली लगाते है। उस पर धौंस जमाते हैं कि हमने पाला पोसा और पढ़ाया लिखाया। हम और आप बकरीद की बहुत आलोचना करते हैं पर क्या अपने बेटे को बकरे की तरह दहेज की राह पर, अपने लालच की राह पर कुर्बान नही कर देते? बेटा भी यह नही सोचता कि वह सिर्फ बकरा हैं। अपनी प्रेम कहानी का अंत करके, वहां शादी करता हैं जहां माता पिता कहते हैं। क्या एक सामान्य परिवार पचास लाख या एक करोड़ का दहेज दे सकते हैं? जिनके परिवार की इतनी हैसियत होगी, उनकी बेटियां कैसी होगीं? क्यों नहीं अपने समकक्ष से शादी करते? पहले के जमाने में लोग बिना दहेज शादी करते थे। अपने बराबर वालों में शादी करते थे। अब बराबरी का आंकलन उसके पैसों से होता हैं। जो लड़की रूपये पैसों, ऐशो आराम में पली हो आखिर आप उससे वैसा बनने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं, जैसा आप चाहे? मेरे गुरु हमेशा कहते थे, बेटा ऐसी बीवी लाना जो तुम्हें एक गिलास पानी दे सकें।
जब आप बाजार से कोई सामान खरीदने जाते हैं तो उसका रख रखाव कैसा करते हैं? ये समाज भी एक बाजार हैं और यहां लड़कों की बोली लगती हैं। शादी एक व्यापार बना दिया हैं।
दो अधिकारी दहेज की वेदी पर शहीद हो गयें। आईपीएस या आईएएस लोगों की लाइफ बहुत टफ होती हैं। पूरे जिले का भार होता हैं। उनकी शादी साधारण लड़की से कीजिए क्योकि साधारण लड़की ही असाधारण होती हैं। उसके अंदर परिवार और जिम्मेदारियों को सहेजने की शक्ति होता हैं। कुंडली मिलाने से अच्छा, दोनों के स्वभाव को मिलाइए। दो शेर एक घर में नही रह सकते। गुस्सैल के लिए कूल होता हैं। दोनो गुस्सैल होगें तो एक दूसरे का सिर फोड़ देगें। रिश्तों के लिए बड़ी सहनशीलता चाहिए। आप किसी का मोटा-मोटा आंकलन उसकी परवरिश से कर सकते है। अगर मां बाप नही सुधरेंगे तो ऐसे ही अधिकारी मरते रहेगें। कोई व्यक्ति जिले और परिवार की टेंशन एक साथ नही झेल सकता।
सौजन्य : फेसबुक
One comment on “आइपीएस सुसाइड प्रकरण : घरेलू हिंसा के चलते अब महिलाओं से ज्यादा पुरुष कर रहे हैं आत्महत्या!”
Mujhe ek work ki talash h bahut pareshan hu kyoki work nhi h or paise bhi nhi h pls help me