Nitin Thakur : मैंने तय किया है कि वो वीडियो मैं अपनी प्रोफाइल पर शेयर नहीं करूंगा लेकिन उस बीमार मानसिकता पर ज़रूर लिखूंगा जिसे साहेब प्रोत्साहित कर रहे हैं। कॉलेज के छात्रों के सामने डिस्लेक्सिक (तारे ज़मीन पर दर्शील सफारी का किरदार जिस समस्या से ग्रस्त है) बच्चों के बारे में बात करते हुए आप अपने राजनीतिक विरोधी पर इतना घटिया मज़ाक कैसे कर सकते हैं वो भी एक गंभीर बीमारी की आड़ लेकर।
उस टेढ़ी हंसी के साथ आपने जिस घटिया स्तर को छुआ शायद आप और आपके भक्त उसे समझ पाने में काफी वक्त लेंगे। उसे समझ पाना इसलिए मुश्किल है क्योंकि सियासत ने आपका विवेक और संवेदना मार डाले हैं। आप भूल चुके हैं कि एक बीमारी के बहाने किया गया मज़ाक सबसे घृणास्पद है। किसी मुल्क का मुखिया अगर इतने गिरे हुए लेवल पर जाकर अपनी कुंठाएं निकालने लगे तब फ्रस्ट्रेट होकर उसके तानाशाह होने का खतरा और बढ़ जाता है। देश भुगतेगा और तब याद करेगा कि ज़हनी तौर पर इतने गरीब आदमी को कभी सिर पर बैठाकर हम सब नाचे थे।
Tabish Siddiqui : यही वजह है कि इस आदमी के आगे से मैंने “जी” लगाना बंद कर दिया है. ये फैसला मैंने इनके छिछोरेपन को चार साल ऑब्सर्व करने के बाद किया है. इन्हें न तो बीमारी की समझ है ना बीमारों से संवेदना. अस्पताल हो या युद्ध, हर जगह इस आदमी को बस अपना फ़ायदा ही दिखता है. कोई समझाओ इन्हें भाई कि ये छोटे बच्चों से मुख़ातिब हैं और स्वयं प्रधानमंत्री के पद पर हैं. घोर विरोध इनकी इस सोच, समझ और छिछोरेपन पर.
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पत्रकार नितिन ठाकुर और ताबिश सिद्दीकी की एफबी वॉल से.
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Avinash
March 3, 2019 at 6:33 pm
Nahi sir, kisi ne majak kar diya to karab lag gaya aur koi gale fad kar mic ke samne chikta hai choukidaar chor hai , chaukidar chor hai to aapke muh mein bang gus jata hai, us samay bhi kuch bol lijiye, dukh aur dard kuch jyada hai….Sabko maloom hai
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