संजीव चंदन-
एनडीटीवी में वित्तीय इंट्रेस्ट के लोगों के बीच घमासान है, अभी खुले तौर पर 5 दिसंबर तक चलेगा। और पर्दे के पीछे कुछ और महीने।
इस बीच मैं याद कर रहा हूँ कि इस मीडिया संस्थान ने कब कोई खबर ब्रेक की थी? खासकर 2014 के बाद।
इस बीच कम से कम रॉफेल जैसी खबर द हिन्दू न ब्रेक की, जिससे सरकार को परेशानी हुई।
इसके पहले भी चैनल टूजी के जीरो की संख्या गिनने के अलावा भी कोई खबर ब्रेक करने के लिए जाना जाता हो, यह मुझे याद नहीं है।
कुछ गलत कारणों से कुछ चर्चा में जरूर आया था यह चैनल, नीरा राडिया प्रकरण।
ऐसा ही कुछ न? व्यंग्य भरे उपदेशात्मक पत्रकारिता में श्रेष्ठ शो दिए हैं इस चैनल ने।
मुझे एनडीटीवी का एक डिजायन पसन्द है। बिना चीखे हुए खबरों की प्रस्तुति। यह इसलिए भी शानदार है कि अब तो कूद कूद कर खबरें दी जा रही हैं।