‘परिकथा’ के संपादक शंकर बोले- ‘यह पहला पुरस्कार है जो मुझे मिल रहा है’

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अशोक कुमार मिश्रा-

बीते शनिवार की शाम नयी दिल्ली के गाँधी शांति प्रतिष्ठान में चतुर्थ राजकमल चौधरी सम्मान वरिष्ठ कथाकार शंकर को दिया गया । सम्मानित वरिष्ठ कथाकार और परिकथा के संपादक शंकर ने कहा कि यह पहला पुरस्कार है जो उन्हें मिल रहा है । उन्होंने पुरस्कारों पर टिप्पणी करते कहा कि आज पुरस्कार हासिल किए जा रहे हैं । उन्होंने हिंदी कहानी के बहाने कुछ बातें कहीं ।

शंकर का वक्तव्य गरिमा से भरा रहा वे कम बोलते हैं लेकिन जो कहते हैं वह सच होता है । उन्होंने कहा कि वे चेखव की कहानियों से खासे प्रभावित रहे हैं । इसके अलावा उर्दू की कहानियों का भी जिक्र किया । पुरस्कार निर्णायक जानकी प्रसाद शर्मा का वक्तव्य रचनाओं के बजाय परिकथा पर केंद्रित हो गया जिसकी जरूरत नहीं थी ।

कथाकार महेश दर्पण का संचालन सधा हुआ रहा । कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वनाथ त्रिपाठी ने की । अन्य वक्ताओं में राजकुमार शर्मा, हरियश राय थे। राजकमल चौधरी के पुत्र नीलमाधव चौधरी ने अपने पिता की दो कविताएँ सुनाई। दिल्ली की ये बहुत ही सादगी भरी खामोश शाम थी।

सभागार में दिल्ली निवासी रामकुमार कृषक, राधेश्याम तिवारी, राकेश रेणु, मदन कश्यप, हीरालाल नागर, बलराम अग्रवाल सहित बहुत सारे लेखकों की उपस्थिति शाम को खुशनुमा बना रही थी । नोएडा एक्सटेंशन से बकलम खुद और कथाकार कवि कमलेश भ्टट कमल और कथाकार अरविंद कुमार सिंह समारोह में शामिल रहे ।

कथाकार शंकर को इस पुरस्कार के लिए बहुत बधाई।

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