राजस्थान पत्रिका में हंगामा मचा हुआ है। बहुत सारे एडिशन बंद करने के बाद अब पत्रिका ने अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकालना शुरू कर दिया है। पत्रिका ने मध्यप्रदेश से अनेक लोगों को दक्षिण भारत के शहरों में ट्रांसफर कर दिया है।
दस से पन्द्रह हजार रुपए कमाने वाले पत्रकारों के लिए वहां कमरा लेना ही मुश्किल हो रहा है। ऐसे में बेचारे नौकरी छोड़ रहे हैं। राजस्थान पत्रिका में निशाना पत्रकार बने हुए हैं।
पत्रिका प्रबंधन ने पहले पत्रिका टीवी शुरू किया। इसके लिए काफी पैसे खर्च किए गए। इसमें अलग से स्टाफ नहीं लगाया गया। इससे टीवी चैनल बंद होने की हालत में आ गया। इसके बाद सर्कुलेशन का काम संपादकीय विभाग को दे दिया। इस कारण राजस्थान में ही सवा लाख कॉपियों का नुकसान हो गया।
अब कहा जा रहा है कि उपसंपादकों का काम पार्ट टाइमर संपादकों से कराया जाएगा। स्थाई तौर पर बरसों से काम कर रहे सैकड़ों उप संपादकों को नौकरी से जबरन निकाला जा रहा है। पत्रिका पहले ही बहुत सारे एडिशन बंद कर चुका है।
राजस्थान में अब जयपुर, जोधपुर और उदयपुर संस्करण ही चलेंगे। कोटा, बीकानेर, अलवर, सीकर जैसे बड़े शहरों के संस्करण बंद कर दिए हैं अथवा मार्च तक बंद करने की तैयारी है। इन संस्करणों को भी ब्यूरो बनाया जा रहा है। पूरी पत्रिका ही ठेके के श्रमिकों से चलाने की योजना है।
एक पत्रिका कर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.