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सुख-दुख

आईसीयू में भर्ती सियाचिन के शेर हनुमनथप्पा को देखने पीएम और कैमरामैन को जाने देना निश्चित रूप से राजनीति है

Sadhvi Meenu Jain : प्रचार की इतनी भूख कि आईसीयू (ICU) के नियम-कायदों को ताक़ पर रखकर ज़िंदगी और मौत की जंग लड़ रहे सियाचिन के जांबाज का हालचाल पूछने पहुंच गए. बिना मास्क लगाए आपको और सेना के इन अफसरों को भीतर जाने किसने दिया? सेना के जवान की फ़िक्र कम, फोटो खिंचवाने की फ़िक्र ज्यादा है आपको. वाकई देश के प्रधानमंत्री का सुशिक्षित होना निहायत ज़रूरी है. यह फ़ोटो प्रेस इन्फार्मेशन ब्यूरो Press Information Bureau ने जारी किया है.

Sadhvi Meenu Jain : प्रचार की इतनी भूख कि आईसीयू (ICU) के नियम-कायदों को ताक़ पर रखकर ज़िंदगी और मौत की जंग लड़ रहे सियाचिन के जांबाज का हालचाल पूछने पहुंच गए. बिना मास्क लगाए आपको और सेना के इन अफसरों को भीतर जाने किसने दिया? सेना के जवान की फ़िक्र कम, फोटो खिंचवाने की फ़िक्र ज्यादा है आपको. वाकई देश के प्रधानमंत्री का सुशिक्षित होना निहायत ज़रूरी है. यह फ़ोटो प्रेस इन्फार्मेशन ब्यूरो Press Information Bureau ने जारी किया है.

Avyact Agrawal : 2003-4 में एम्स में एक बार सुषमा स्वराज जी के रिश्तेदार का बच्चा कैसुअल्टी में भर्ती किया गया। बाजू के वीआईपी कमरे में। वो गंभीर नहीं था। मैं उसका इलाज शुरू करवा चुका था और अपनी हेड डॉ वीना कालरा मैम को भी बता चुका था। मैं सीएमओ ड्यूटी पर था। सुषमा जी उस समय कैबिनेट हेल्थ मिनिस्टर थीं। वो उसे देखने आईं। सारे डॉक्टर और सीनियर मेरे पास दौड़े दौड़े आए कि हेल्थ मिनिस्टर आयी है जल्दी चलो। उस वक़्त मैं एक गंभीर बच्चे को वेंटीलेटर पर रख रहा था और मेरा कोई रिप्लेसमेंट उपलब्ध नहीं था। मैंने कहा इसे stable करके आता हूँ। ये गंभीर है। मैं लगभग 20 मिनट बाद गया। उन्होंने मुझे बेटा कर संबोधित किया और बच्चे की स्थिति जानी। अपने रिश्तेदारों से कहा, एम्स के डॉक्टर सर्वश्रेष्ठ हैं, कहाँ अपोलो, एस्कॉर्ट जाते रहते हो। सुषमा जी ने सभी प्रोटोकॉल माने थे और मेरा इंतज़ार बिना किसी अहम् के किया था। राजनीतिज्ञ चिकित्सा पेशे से नहीं होते, उन्हें प्रोटोकॉल बताने की ज़िम्मेदारी हमारी है। और वो न मानें ऐसा मैंने कभी नहीं देखा। चिकित्सक में सच्चाई का आत्मविश्वास होना चाहिए।

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Sanjaya Kumar Singh : प्रधानमंत्री सियाचिन के शेर हनुमनथप्पा को देखने अस्पताल गए। राजनीति (और खुद प्रधानमंत्री भी) ऐसी स्थिति में हैं कि उनका जाना भी खबर है। आमतौर पर अस्पतालों में आईसीयू के मरीजों से उनके करीबी रिश्तेदारों को भी नहीं मिलने दिया जाता है। उन्हें भी नहीं, जो मरीज की मौत से आशंकित अंतिम दर्शन करना चाहते है और इसीलिए दूर-दराज से आते हैं। चिकित्सकों का कहना होता है कि आप अपने मरीज की परवाह न करें, हमें दूसरे मरीजों की तो करनी है। ऐसे में आईसीयू में प्रधानमंत्री को जाने देना (या उनका जाना, वह भी कैमरा मैन के साथ) निश्चित रूप से राजनीति है। मैं अनुचित नहीं कह रहा। बड़े पद पर बैठे लोगों में भी इतनी सहिष्णुता होनी चाहिए कि उन्हें वास्तविकता बताई जा सके। डॉक्टर को बताना चाहिए था कि आईसीयू में बेहोश मरीज को देखकर वे राजनीति के सिवा कुछ और नहीं कर पाएंगे जो मिलीट्री हॉस्पीटल के डॉक्टर्स ने उन्हें नहीं बताया।

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Amit Chaturvedi : प्रधानमंत्री सियाचिन के शेर हनुमनथप्पा को देखने अस्पताल गए, राजनीति इतने लो पर है कि उनका जाना भी खबर बन रही है, जबकि अगर न जाते तो खबर बननी चाहिए थी, खैर सवाल ये है कि वो कैमरामैन लेकर क्यों गए अंदर? और आईसीयू में बिना प्रोटेक्टिव क्लोथ्स के क्यों गए?

स्रोत : फेसबुक

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