लखनऊ में सीएम और पीएम की फोटो लगाकर किसी स्वदेशी स्मार्टफोन के प्रमोशन के एक बड़े खेल का खुलासा हुआ है. बताया जा रहा है कि इस खेल में सत्ताधारी नेताओं, मीडिया वालों और कुछ अफसरों की मिलीभगत है. हालांकि हर बार की तरह इस बार भी छोटी मछलियां ही मारी जाएंगी. बड़े सब अपनी तोंद सहलाते बाइज्जत अपने किसी नए खेल में मशगूल हो जाएंगे.
स्वदेशी स्मार्ट फोन घोटाले में बाकायदे सीएम योगी और पीएम मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है. यानि घोटालेबाज पूरी तरह संतुष्ट थे कि उनके आका लोग सत्ताधारी पार्टी के बड़े लोग हैं इसलिए उन पर पुलिस तो हाथ नहीं डालने वाली और उनका बाल तक न बांका होने वाला है.
इस करप्शन के खेल का खुलासा लखनऊ के चर्चित सांध्य दैनिक 4पीएम अखबार ने किया. इस अखबार के संस्थापक और संपादक संजय शर्मा ने अखबार पहले पन्ने पर जब पहले दिन इस खेल का खुलासा किया तो सबको सांप सूंघ गया. अगले रोज नवभारत टाइम्स में सिंगल कालम खबर छपी वो भी बिना किसी के नाम पहचान के. नेक्स्ट डे जब 4पीएम में खबर का प्रकाशन हुआ तो आज अमर उजाला में विस्तार से खबर छपी है.
इस प्रकरण में दर्ज एफआईआर में बाकायदा जागरण ग्रुप के एक जनरल मैनेजर का नाम है.
फिलहाल तो 4पीएम अखबार के पेज को टैग कर विपक्षी पार्टियों के नेता इस घोटाले के बारे में सवाल पूछ रहे हैं लेकिन यूपी की सत्ता मौन है. पुलिस ने एफआईआर भले दर्ज कर लिया है लेकिन देखना है कि वह केवल छोटी मछलियों को पकड़कर अपना काम खत्म मानती है या फिर बड़े व ढीठ घोटालेबाज भी सलाखों के पीछे होते हैं.
सोचिए, यही सब कांड दिल्ली में केजरीवाल वगैरह की तस्वीर लगाकर किसी आम आदमी पार्टी के नेता या आम आदमी पार्टी के नेता के किसी निकट संबंधी ने किया होता तो दल्ला मीडिया आसमान सिर पर उठा लेता. लेकिन यह चूंकि लखनऊ में हुआ है, माननीय मोदी और योगी जी के तस्वीर का इस्तेमाल करके हुआ है, मंत्री जी के नजदीकी-परिचित द्वारा हुआ है, इसलिए दल्ला मीडिया के लिए ये कोई खबर नहीं है. आजतक, इंडिया टीवी, एबीपी न्यूज… एक लाइन से सारे न्यूज चैनल मौन हैं.
पढ़ें इस प्रकरण की पूरी कहानी, तस्वीरों और स्क्रीनशॉट की जुबानी…..