आखिरकार एक और चैनल के मालिक ने सत्ता के समक्ष घुटने टेक दिए… इस चैनल के मालिक ने सुबूत भी दे दिया कि आज के समय में पत्रकारिता सिर्फ और सिर्फ मालिकों के लिए व्यापार से बढ़कर कुछ नहीं है. इन मालिकों को इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्होंने सिर्फ पत्रकारिता का पेशा बदनाम करना सीखा है.. ये मालिक लोग सिर्फ अधिक से अधिक धन कमाना चाहते हैं.
इन सब बातों में सोचने वाली बात यह है कि सरकार का रुतबा इतना ज्यादा बढ़ गया है कि वह किसी भी चैनल के मालिक पर दबाव बनाकर उस चैनल के पत्रकार को हटवा देती है. चौकीदार ने कंपनी के मालिक पर चौकीदारी करने की बात कह कर मालिक को आड़े हाथ ले लिया. इन सब बातों से मोदी जी की एक बात का यह पता तो लग गया कि वह चौकीदार किस बात के लिए हैं. भारतीय मीडिया को एक ऐसे कानून बनाने की मांग करनी चाहिए जिसमें सरकार बिल्कुल भी मीडिया हाउसेस पर दबाव ना बना सके.
बिस्कुट कंपनी चलाने वाले मालिक बीपी अग्रवाल भी क्या करते. सरकार उस पर कई तरह की जांच एजेंसी बैठा देती जिससे कंपनी का मालिक वैसे ही बेबस हो जाता. हर कंपनी का मालिक कभी भी यह बिल्कुल नहीं चाहेगा कि उसके व्यापार में घाटा हो.
इन सब बातों में समझने वाली बात यह है कि आज के रावण राज में कोई भी मालिक ऐसा नहीं है जो राम का रूप धारण कर सके. क्या सभी पत्रकार फिर से यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कलयुग में फिर से कोई अवतार जन्म लेगा? एक बात तो जरूर समझिए. जो भी करना है वह हम लोगों को ही करना है. मोदी सरकार का सामना किसी ना किसी को तो करना ही पड़ेगा. आखिर ऐसा कब तक चलेगा. मेरा मानना यह है कि अब क्रांतिकारी पत्रकारिता करने की आवश्यकता है. क्योंकि अगर यह पेशा ही नहीं रह जाएगा तो पत्रकारिता करने का क्या लाभ.
अगर मोदी सरकार की अभी की स्थिति में सामना नहीं किया गया तो आने वाले समय में यह सरकार पत्रकारिता के पेशे को ही गायब कर देगी या सौ परसेंट अपने अनुकूल बना देगी जिसके लक्षण दिख रहे हैं. इस बात का सबूत साक्षी महाराज आपको खुद दे चुके हैं.
अगर समय रहते कुछ नहीं किया गया तो आने वाली स्थिति पत्रकारिता के पेशे के लिए कितनी भयानक हो जाएगी, इसका अंदाजा कोई भी नहीं लगा सकता. क्या 125 करोड़ की आबादी वाले देश में ऐसा कोई भी मालिक नहीं है जो मोदी सरकार का सामना कर सके? मैं पुण्य प्रसून वाजपाई के लिए एक बात यही बोलना चाहूंगा कि आने वाले समय में उनका नाम पत्रकारिता के इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में जरूर दर्ज किया जाएगा.
प्रवेश कुमार
दिल्ली यूनिवर्सिटी
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मूल खबर….
NIMESH SRIVASTAVA
March 20, 2019 at 3:34 pm
आज की राजनीति पत्रकारिता पर प्रश्वचिन्ह है मुझे लगता है… इस तरह से तो पत्रकारिता का स्तर गिरना तय है…क्या कोई है जो पत्रकारिता के स्तर को मजबूत कर सके…
Pravesh kumar
March 21, 2019 at 6:05 pm
अगर मुझे मौका मिले तो मैं जरूर पत्रकारिता के स्तर को ऊपर पहुंचाने का काम करूंगा, पत्रकारिता के स्तर को ऊपर पहुंचाने के लिए मुझे किसी भी हालातों का सामना करना पड़े ,चाहे मुझे इसके लिए कुछ भी करना पड़े, मैं जरूर करूंगा