Connect with us

Hi, what are you looking for?

उत्तर प्रदेश

रामदेव को जमीन न देना महंगा पड़ा प्रवीर कुमार को

जो बाबा की बात मानेगा, वही प्रदेश की अहम कुर्सी पर कायम रह सकेगा, वरना उसे कुर्सी छोड़नी पड़ेगी। कुछ ऐसी ही है, नोएडा की अहम कुर्सी। नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा जमुना एक्सप्रेस के चेयरमैन प्रवीर कुमार के साथ भी ऐसा ही हुआ है। कुर्सी पर बैठे प्रवीर कुमार ने बाबा की बात नहीं मानी और मात्र 15 दिन के अन्दर ही उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। यह पद उन्हें मुख्य सचिव न बन पाने के एवज में दिया गया था। इसके बाद प्रवीर कुमार जैसे ही नोएडा पहुंचकर साफ, सफाई शुरू की तो उन्हें हटा दिया गया।

<p>जो बाबा की बात मानेगा, वही प्रदेश की अहम कुर्सी पर कायम रह सकेगा, वरना उसे कुर्सी छोड़नी पड़ेगी। कुछ ऐसी ही है, नोएडा की अहम कुर्सी। नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा जमुना एक्सप्रेस के चेयरमैन प्रवीर कुमार के साथ भी ऐसा ही हुआ है। कुर्सी पर बैठे प्रवीर कुमार ने बाबा की बात नहीं मानी और मात्र 15 दिन के अन्दर ही उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। यह पद उन्हें मुख्य सचिव न बन पाने के एवज में दिया गया था। इसके बाद प्रवीर कुमार जैसे ही नोएडा पहुंचकर साफ, सफाई शुरू की तो उन्हें हटा दिया गया।</p>

जो बाबा की बात मानेगा, वही प्रदेश की अहम कुर्सी पर कायम रह सकेगा, वरना उसे कुर्सी छोड़नी पड़ेगी। कुछ ऐसी ही है, नोएडा की अहम कुर्सी। नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा जमुना एक्सप्रेस के चेयरमैन प्रवीर कुमार के साथ भी ऐसा ही हुआ है। कुर्सी पर बैठे प्रवीर कुमार ने बाबा की बात नहीं मानी और मात्र 15 दिन के अन्दर ही उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। यह पद उन्हें मुख्य सचिव न बन पाने के एवज में दिया गया था। इसके बाद प्रवीर कुमार जैसे ही नोएडा पहुंचकर साफ, सफाई शुरू की तो उन्हें हटा दिया गया।

जब इस मामले की पूरी पड़ताल की गई तो पता चला कि योग गुरू बाबा रामदेव के पतजंलि को युमना एक्सप्रेस-वे के पास 660 एकड़ जमीन आवंटित करने को सरकार ने कहा था। इस मामले में प्रवीर कुमार ने देखा कि प्रस्ताव में न तो कोई औपचारिक आदेश, न ही कोई मंत्रिमंडलीय निर्णय आया है और न ही इम्पावर्ड कमेटी की कोई संस्तुति है। इन कानूनी कमियों के कारण प्रवीर कुमार ने इसे वापस कर दिया क्योंकि यह मामला नियम विरूद्ध था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

उन्होंने लिखा कि शासन स्तर से उक्त प्रक्रिया पूरी कर प्राधिकरण को भेजी जाए। शायद शासन को इस तरह के जवाब की उम्मीद नहीं थी। क्योकिं इसके पूर्व जो भी अधिकारी रहे उन्होंने यहां के निर्देशों का अक्षरशः पालन किया। प्रवीर के इसी जवाब ने उन्हें कुर्सी से चलता कर दिया। इस सम्बन्ध में जब विस्तृत पड़ताल की गयी तो पता चला कि बाबा 660 एकड़ जमीन अपनी शर्तों के हिसाब से लेना चाहते थें। इन शर्तों  में पहली यह थी कि जमीन की कीमत काभुगतान 15 किश्तों में हो तथा ब्याज दर मात्र 5 प्रतिशत ही वसूली जाए, जबकि नियमानुसार आवंटित की जाने वाली किसी जमीन का भुगतान 12 किश्तों में और 12 प्रतिशत ब्याज दर पर पर किया जा सकता है।

यह सर्वविदित है। बाबा के पतंजलि का व्यवसाय पूरी दुनिया में अरबों – खरबों का है। इस तरह की जमीनें वह एक मुश्त भुगतान में भी प्राप्त कर सकते है। जानकारों का तो यह भी कहना है। उत्तर प्रदेश में बाबा के व्यवसाय की पूरी डीलरशिप सीएनएफ उ0 प्र0 से जुड़ी संस्था पर 150 एकड़ से ज्यादा की सम्पत्तियों पर अवैध कब्जे का आरोप है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बाबाओं को जमीन का मोह होना कोई नई बात नहीं है। लम्बा इतिहास रहा है। कई दशकों से यह खेल चल रहा है। बाब जय गुरूदेव के शिष्य रामबृक्ष यादव की हाल ही में  मथुरा में जमीन कब्जा कव मामला सुर्खियों में रहा है। इसकों लेकर खूनी संधर्ष भी हुआ। इसी तरह अयोध्या में आए दिन अखाड़ों में जमीन कब्जे को लेकर विवाद उठते रहते है। यही नहीं, बाराबंकी में संत ज्ञानेश्वर की हत्या भी जमीन विवाद के चलते हो चुकी है।

लेखक अजय कुमार लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement