सहारा ग्रुप के रीजनल न्यूज चैनल सहारा समय एमपी सीजी के हेड पद से मनोज मनु को हटाए जाने के बाद अब इसकी कमान रमेश अवस्थी को दे दी गई है. रमेश अवस्थी अभी सहारा समय यूपी उत्तराखंड चैनल के मुखिया हैं. वे अतिरिक्त प्रभार के रूप में सहारा समय एमपी सीजी चैनल देखेंगे.
ज्ञात हो कि मनोज मनु सहारा समय मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ के 10 साल से ज़्यादा समय तक चैनल हेड रहे. मनोज मनु को दो हफ़्ते पहले चैनल हेड पद से हटा कर जिम्मेदारी सुदेश तिवारी को दी गई. पर इसे आदेश को शीघ्र ही संशोधित कर रमेश अवस्थी को एमपी सीजी चैनल का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया.
इस बीच चर्चा है कि मनोज मनु के ऊपर कुछ गम्भीर आरोप हैं जिसकी जांच चल रही है. पहले भी एमपी के कई विवादों में मनोज मनु का नाम सामने आया पर अपने रसूख के चलते मनोज मनु ने सब कुछ मैनेज करा लिया.
संबंधित खबर-
Comments on “रमेश अवस्थी को मिला सहारा समय एमपी सीजी चैनल का अतिरिक्त प्रभार”
Sahara channel is a very unattractive channel… Also, its workers.
Sahara india pariwar jamakrtao ka paisa lootay jissee Gareb jamakrtao ka bhalal ho
Sahara ko bhi justice milna chahie .bhut ho gya.
Supreme court ji Sahara ko bhi nyaye do please.
सहारा ग्रुप के नये सीईओ और मप्र/छत्तीसगढ़ के पिछले दस सालों से एडिटर मनोज मनु के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है, जिसके चलते मनोज मनु को साइड लाइन करते हुये मप्र/छत्तीसगढ़ चैनल का प्रभार यूपी के एडिटर रमेश अवस्थी को दे दिया गया है क्योंकि मनोज मनु के कार्यकाल में किये गये कई घोटालों की जांच चल रही है। ज्ञात रहे कि आज से दस साल पहले उपेन्द्र राय ने ही मनोज मनु को एडिटर बनाया था लेकिन समय बीतता गया, इस बीच उपेन्द्र राय कई बार आये और गये पर रसूख के कारण मनोज मनु को कोई भी डिगा नहीं सका। इस बार फिर इन दोनों के बीच तलवारें खींच गई हैं आगे देखते हैं कौन विजयी होता है। मनोज मनु को कमज़ोर होता देख उनके समर्थक अब इस जुगत में हैं कि उपेंद्र राय एक बार फिर self exit plan लेकर आएं जिसमें लगभग मनोज मनु के साथ लगभग 100 मनोज मनु समर्थक सहारा को छोड़ सकते हैं। इधर पिछले दो महीनों से सैलरी भी नहीं आने के कारण उपेन्द्र राय के खिलाफ लोगों में काफी रोष है, आवश्यकता है बस चिंगारी की जो कभी भी शोला बन सकती है। सहारा में पिछले छह सालों से वेतन समय पर नहीं आ रहा है और अगर आ भी रहा है तो juniors को छोड़कर सीनियर्स को पूरा वेतन नहीं मिलता। अब देखना ये है कि exit plan कब आता है और इन दोनों की लड़ाई में जीत किसकी होती है।
रीतेश भोंसले