Mohammad Anas : रामगोपाल यादव के बेटे और फिरोजाबाद से समाजवादी पार्टी के लोकसभा सांसद अक्षय यादव पर इन्डियन एक्सप्रेस ने ख़बर लिखी है की उन्होंने यादव सिंह की कंपनी के शेयर खरीदे. अक्षय द्वारा शेयर खरीदते ही बर्खास्त यादव सिंह बहाल हो जाते हैं. यादव सिंह पर करोड़ों रुपए के गबन का आरोप है और यह संदेह जताया जाता है कि उन्होंने ऐसा सत्ता में शामिल लोगों के इशारों पर किया. रामगोपाल यादव, सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह के भाई हैं और अक्षय मुलायम सिंह के भतीजे. अब जब भतीजा फंसता हुआ नज़र आया तो बिहार में बीजेपी को वाकओवर दे आये नेता जी. पहले से पांच सांसद हैं आपके परिवार में, एक जेल चला जाता तो क्या बुरा हो जाता. कम से कम बिहार में ‘सेक्यूलर मोर्चा’ मजबूत तो रहता. भाई और भतीजा करप्शन करें और भुगते जनता? ये कहाँ का इंसाफ है? ये करप्शन बहुत महंगा पड़ेगा. लखनऊ मेट्रो पर भी बहुत भारी पड़ेगा. मुझे पता है बीजेपी के नेता अक्षय यादव के मामले में खामोश रहेंगे क्योंकि ‘डील’ बड़े नेताओं से हो गई है. फिर भी, परिवारवाद के चक्कर में समाजवाद के साथ साफ़ साफ़ अन्याय होते नहीं देखा जा सकता. रामगोपाल इस्तीफा दो, अक्षय यादव को जेल भेजो.
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भाजपा से मुलायम सिंह ने जो समझौते किये थे उसमें ‘यादव सिंह’ वाले केस में से अक्षय यादव का नाम हटाना भी शामिल था लेकिन बिहार चुनाव की तारीख़ का एलान होते ही भाजपा ने मीडिया में अक्षय यादव वाली ख़बर लीक करवा दी. बीजेपी ने एक बार फिर से आदत के मुताबिक़ मुलायम सिंह को धोखा दे दिया. मैं बहुत खुश हूं. ‘धर्मनिरपेक्षिता के नाम पर महागठबंधन बना कर आखिर वक्त में उसे तोड़ देने वालों के साथ बिलकुल ऐसा ही होना चाहिए. इन्हें न तो घर का छोड़ना चाहिए न तो घाट का. भाई और भतीजे के लिए ‘सेक्युलरिज्म’ का त्याग करने वाले नेता कुछ भी हो सकते हैं लेकिन जनता के नेता कभी नहीं हो सकते. अक्षय यादव के अलावा रामगोपाल का भी नाम जल्द ही आएगा, ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए. क्योंकि अक्षय ने तो बस कंपनी के शेयर ख़रीदे थे, पता नहीं किसने बर्खास्त यादव सिंह की बहाली करवा दी. कौन है वो?
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सपा के महासचिव रामगोपाल यादव के सासंद बेटे अक्षय यादव ने यादव सिंह की जिस कंपनी को सिर्फ एक लाख रुपये में ख़रीदा था उसकी कीमत लगभग चार करोड़ रुपए थी. सीबीआई, अक्षय यादव को कभी भी पूछताछ के लिए बुला सकती है. सीबीआई ने अक्षय और उनकी पत्नी के बैंक खातों की जांच पूरी कर ली है. नरेंद्र मोदी के नए खेवनहार मुलायम सिंह यादव अब किसके पास गुहार लगाने जाएंगे? बिहार में गठबंधन तोड़ने की दोहरी सज़ा तो मिलेगी ही. रामगोपाल यादव और अक्षय यादव को तुरंत सपा से निकाल देना चाहिए. फिर सीबीआई का डर भी खत्म हो जाएगा. वैसे भी रामगोपाल ज़मीनी नेता नहीं है. तो क्या मेरे समाजवादी दोस्त, रामगोपाल यादव और अक्षय यादव को सपा से निकाले जाने के हिमायती हैं? अब जबकि साफतौर से पता चल गया है इन्हीं बाप-बेटे की वजह से बिहार में गठबंधन टूटा तो उनका क्या स्टैंड रहेगा? समाजवादी विचारधारा महत्वपूर्ण है उन सभी के लिए या फिर काले कारनामों वाले अक्षय यादव और अक्षय की मदद करने वाले रामगोपाल यादव?
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नोएडा के इंजीनियर यादव सिंह से यूपी की सत्ताधारी पार्टी और परिवार से कनेक्शन का खुलासा हुआ है. मुलायम सिंह के भतीजे और समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव के यादव सिंह से कारोबारी रिश्ते का पता चला है. अक्षय यादव फिरोजाबाद से सांसद भी हैं. अक्षय यादव ने यादव सिंह के सहयोगी से एनएम बिल्डवेल नाम की कंपनी ली थी. अक्षय ने सितंबर 2013 में एनएम बिल्डवेल कंपनी के 9 हजार 995 शेयर यादव सिंह के सहयोगी राजेश मनोचा से 10 रुपये के भाव पर खरीदे थे. 5 शेयर अक्षय की पत्नी ऋचा के नाम ट्रांसफर हुए थे. उस समय इस कंपनी के शेयर की कीमत लगभग 2050 रुपये होनी चाहिए थी. उसी के बाद यूपी सरकार ने सस्पेंड चल रहे यादव सिंह को नोएडा अथॉरिटी में बहाल कर दिया था. यादव सिंह के घर से पिछले साल नवंबर में सीबीआई ने 10 करोड़ ऑडी कार से बरामद किए थे.
पत्रकार और एक्टिविस्ट मोहम्मद अनस के फेसबुक वॉल से.
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