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घपलेबाज प्रवास के निलंबन की हिम्मत नहीं जुटा सका लोक सेवक मंडल

कन्हैया शुक्ला-

ओडिशा में समाज रिलीफ फंड घोटाला, अखबार की साख पर बट्टा, राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार ने उल्टे पीड़िता के खिलाफ एक्शन की बात कही, समाज अख़बार में बेहद लचर स्पष्टीकरण छापकर प्रवास को बचाने की कोशिश तेज

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ऩयी दिल्ली/कटक। 104 साल पुराना ओडिया अखबार समाज का सेवा प्रकल्प समाज रिलीफ फंड की रकम में हेराफेरी करने वाला फरारी काट रहा प्रवास आचार्य अब जमानत के लिए छटपटा रहा है। वह अखबार के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट का सदस्य होने के साथ संचालक संस्था लोक सेवक मंडल (एसओपीएस) का राष्ट्रीय महासचिव भी है। उसने एसओपीएस की एपेक्स बॉडी के कतिपय पदाधिकारियों और सदस्यों की ऐसी कमजोर नस दबा रखी है जिसक कारण उसके खिलाफ संस्था से निलंबन या बर्खास्तगी की कोई हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।

केस वापसी के लिए महिला को प्रवास से धमकी मिल रही है तो दूसरी तरफ संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी कह रहे हैं कि केस गलत हुआ तो कार्रवाई की जाएगी। समाज ने अखबार में स्पष्टीकरण छापा पर प्रवास को उसमें भी बचा लिया गया। इस घटना की निंदा करते हुए कहा गया समाज रिलीफ फंड के लोग पैसा देने के साथ ही रसीद अवश्य ले लें।

आज के डेवलपमेंट में पता चला है कि लोक सेवक मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चोपड़ा ने प्रवास के खिलाफ मोटी रकम की ठगी करने की कटक के थाना कैंटोनमेंट में एफआईआर कराने वाली महिला राजलक्ष्मी सतपथी के उस पत्र का जवाब दिया है जिसमें उसने प्रवास के खिलाफ शिकायत पर ओडिशा ब्रांच के अध्यक्ष द्वारा कोई कार्रवाई न करने की शिकायत की थी। यह पत्र राजलक्ष्मी ने 17 अगस्त को राजकुमार चोपड़ा को लिखा था। पत्र के जवाब में राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चोपड़ा ने उल्टे राजलक्ष्मी को ही धमकी दे डाली कि यदि वह गलत हुई तो उसके खिलाफ भी एक्शन लिया जाएगा।

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जवाबी पत्र में चोपड़ा ने लिखा है कि यह मामला गंभीर है और लोक सेवक मंडल ने इसे काफी गंभीरता लिया है। समुचित कार्रवाई की जाएगी। पर प्रवास आचार्य पर आरोप गलत होने पर राजलक्ष्मी पर कार्रवाई की बात लिखकर लोकसेवक मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चोपड़ा ने विवाद को हवा ही देने का काम किया है।

ओडिशा के लोगों का मत है कि समाज अखबार और उसकी संचालक बॉडी लोक सेवक मंडल समाज सेवियों और जनता की संस्था है। किसी का एकाधिकार नहीं है। राजलक्ष्मी के आरोपों में कहीं कोई कमी हो तो बताएं। डिजिटल भुगतान का पूरा सबूत है जिसकी रसीद नहीं दी गयी। समाज रिलीफ फंड में भारी घोटाला है।

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सरकार यदि इंटरनल ऑडिट कराए तो न केवल समाज रिलीफ फंड बल्कि समाज की वित्तीय व्यवस्था, चिकित्सा प्रकल्प गोपबंधु इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च अटगढ़ (कटक) में भी घोटाला निकल सकता है। समाज अखबार के कारण इस चिकित्सा इंस्टीट्यूट में सरकार और कार्पोरेट बॉडी मोटी रकम बतौर डोनेशन देती हैं पर इसका लाभ ओडिशा या आसपास के राज्यों को नहीं मिलता है। इसका इंफ्रास्ट्रक्चर ही विकसित नहीं होने दिया गया। प्रवास आचार्य यहां का भी प्रभारी रह चुका है। सालों से इस पर काबिज निरंजन रथ को यहां से हिला पाना किसी के बूते की बात नहीं है।

लोक सेवक मंडल पर भारी पड़ रहा प्रवास
लोक सेवक मंडल और समाज अखबार की पवित्रता बनाए रखने के लिए दागी सदस्यों को दूध में मक्खी की तरह सदैव निकाल फेंका जाता रहा। ब्रजभाई इसका उदाहरण हैं जिनकी कभी तूती बोला करती थी। उन्हें इसी संस्था ने जेल तक की हवा खिला दी थी। हालांकि मामला कोर्ट में है पर इसे शांत कराने के लिए नवीन सरकार तक को हस्तक्षेप करना पड़ा था।

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18 और 19 अगस्त को लोक सेवक मंडल के सभी पदाधिकारी कार्यकारिणी समिति के सदस्य दिल्ली के लाजपतनगर हेडक्वार्टर लाजपत भवन में थे। पर एफआईआर के बाद महासचिव प्रवास आचार्य के फरार होने के कारण विधिवत नहीं हो पायी। हालांकि प्रवास की अनुपस्थिति में हुई बैठक में उसे निलंबित करने का प्रस्ताव वरिष्ठ सदस्य सतपाल ग्रोवर लाए भी पर कुछेक सदस्यों ने इस फैसले को फिलहाल रोकने की बात कही। इस बात की ओडिशा में भी चर्चा है कि प्रवास आचार्य ने आखिर ऐसी कौन सी नस दबा रखी है जिसके चलते लोक सेवक मंडल कार्रवाई से पीछे हट गया।

मालूम हो कि 16 अगस्त को कटक के थाना कैंटोनमेंट में प्रवास आचार्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 419 और 420 एफआईआर दर्ज हुई थी जिसमें समाज रिलीफ फंड का 1.47 लाख रुपये के गोलमाल की बात कही गयी थी। यह रकम फोनपे (डिजिटल भुगतान) की गयी थी। तब से पुलिस उसे तलाश रही है पर बताते हैं कि समाज के रसूखदार लोगों ने पुलिस को मैनेज कर लिया है। समाज रिलीफ फंड में दान करने वाले लाखों ओडिशावासियों के विश्वास को इस घटना से ठेस लगी है जिसके चलते रोष व्याप्त है।

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मूल खबर-

ओडिशा के 104 साल पुराने ‘दि समाज अखबार’ के बोर्ड सदस्य प्रवास आचार्य पर धोखाधड़ी की एफआईआर https://www.bhadas4media.com/the-samaj-akhbar-pravas-achary-farar/

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