पढ़ें दोनों का पक्षों का पत्र-
सेवा में,
सम्पादक जी
भड़ास 4 मीडिया डॉट कॉम
दिल्ली/ नोएडा
विषय:-साजिश के तहत लगाये गये झूठे आरोपों के सम्बन्ध में
महोदय आपके पोर्टल पर अब मेरे विषय मे तथ्य रहित साजिश के तहत किसी व्यक्ति द्वारा भेजा गया असत्य समाचार प्रसारित किया गया है।
आपको अवगत कराना है कि मुझे (संदीप तायल) निष्पक्ष पत्रकारिता करते हुए लगभग 25 साल हो गये है, प्रार्थी( संदीप तायल) का शिक्षक शैलेन्द्र सिंह पुत्र राज सिंह निवासी हापुड़ से कोई विवाद नही है, शिक्षक शैलेन्द्र सिंह का विवाद नितिन मोदी पत्रकार से है, प्रार्थी का नाम साजिश के तहत बुलंदशहर के ही कुछ पत्रकारों ने चैनेल में झूठी शिकायत कर अपने साथियों को पत्रकार बनवाने के उद्देश्य से शामिल कराया गया है। हनी ट्रैप के नाम पर जिस महिला का जिक्र शिक्षक शैलेन्द्र ने किया है उसे मै जनता तक नही, मेरी जीवन मे इस महिला से कभी फोन पर बात तक नही हुई, बल्कि जानकारी के अनुसार ये महिला शिक्षक की ही पूर्व परिचित है, जिसकी पुष्टि शिक्षक ने कूट रचित FIR में स्वीकारी है।
आपको अवगत कराना है कि बुलंदशहर के पत्रकार नितिन पुत्र बिजेंद्र ने थाना गुलावठी पर शिक्षक शैलेन्द्र सिंह के खिलाफ नोकरी लगवाने के नाम पर 3 लाख रुपये ठगने का आरोप लगाते हुए गत वर्ष मुकदमा अपराध संख्या 347/2019 धारा 406 आई पी सी के तहत दर्ज कराया था, जिसके बाद खुद बीबी नगर ब्लाक के एक परिषदीय स्कूल में तैनात शैलेन्द्र सिंह ने 16.8.2019 को नितिन से 10 रुपये के स्टाम्प पेपर पर स्व: हस्त लिखित समझौता किया था, जिसमे शैलेन्द्र सिंह ने लिखा है कि नितिन से रुपये लेने की बात शैलेन्द्र सिंह ने स्वीकारी है साथ ही लिखा था कि संदीप तायल आदि से मेरा कोई विवाद नही है।( समझौता संलग्न है )
नितिन मोदी से ठगे रुपये न देने पड़े और प्रार्थी को फसाया जा सके इसीलिये समझौते के बाद कुछ पत्रकारों ने साजिश के तहत शैलेन्द्र सिंह से मिलकर एक झूठी याचिका बुलंदशहर एसीजेएम कोर्ट के 156(3) के तहत दाखिल करा दी थी , जिसमे प्रार्थी का किसी भी लेनदेन से वास्ता न होने के बाद भी साजिश के तहत जान बुझकर नितिन से विवाद होने के बावजूद प्रथम प्रतिवादी के रूप में संंदीप तायल का नाम जान बूझकर लिखवाया था, ताकि संदीप तायल से विवाद दर्शाया जा सके ,जिस पर एसीजेएम कोर्ट के आदेश पर 5 लोगो के खिलाफ 12 फरवरी 2020 को मुकदमा दर्ज हुआ।
इसके बाद 18 फरवरी 2020 को शैलेन्द्र सिंह ने अपने भाई व वार्ड सभासद की मौजूदगी में नितिन से कोर्ट में फिर समझौता कर लिया था, जिसमे दोनो शिक्षक शैलेन्द्र सिंह व नितिन ने एक दूसरे के खिलाफ लिखाये मुकदमो को वापस लेने की बात कही गयी, SSP बुलंदशहर ने भी दोनो के शपथपत्र जांच अधिकारी की भेज दिये थे, शपथ पत्रों को शैलेन्द्र सिंह ने बुलंदशहर जिला जज की कोर्ट में भी दाखिल किया था( जिला जज की कोर्ट के दाखिल शपथ पत्र की कापी संलग्न है)
यही नही जब पुलिस ने मामले को लंबित रखा तो, 78/2020 के वादकारियों व शैलेन्द्र सिंह ने हाई कोर्ट की शरण ली, शैलेन्द्र सिंह ने हाइकोर्ट में अपना वकालतनामा दाखिल कर अपना वकील भी खड़ा किया, जिनमे माननीय उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति समित गोपाल ने बुलंदशहर के एसएसपी को जिला जज की अदालत में।दाखिल समझौते के आधार पर मामले के रिपोर्ट दाखिल करने के 22.6.2020 को आदेश जारी किये थे।( आदेश की प्रति संलग्न है)
मान्यवर आपको अवगत कराना है कि शैलेन्द्र सिंह का नितिन मोदी से विवाद था, संदीप तायल से नही। जिसका कई बार शैलेन्द्र नितिन से समझौता कर चुका है।
बार बार नितिन से समझौते कर कोर्ट में दाखिल करने के बाद अब नया शपथपत्र भेजने से शैलेन्द्र सिंह की मंशा का अंदाजा लगा सकते है, क्यो कि कोर्ट के दाखिल शपत्र पत्र को ही सत्य माना जाता है। शैलेन्द्र सिंह प्रकरण में झूठा नाम लिखवाकर मुझे चैनेल से निकलवाने की धमकी दे ब्लैकमेल भी कर रहा है।
बुलंदशहर में पत्रकारो का एक गुट साजिश के तहत पत्रकारों को फसा उनकी शिकायत चैनेल व अखबारों के संस्थानों में कर उन्हें हटवाने की साजिश रचता रहता है। पिछले 6 महीने के बुलंदशहर में 10 पत्रकारों पर फर्जी मामले दर्ज हो चुके है।
मान्यवर आपसे अनुरोध है कि प्रार्थी का पक्ष प्रकाशित कराकर आवश्यक मदद करें और साजिश रचने वालों लोगो का शिकार होने से बचाने की कृपा करें।
सादर:-
संदीप तायल
( पत्रकार)
बुलंदशहर
[email protected]
उपरोक्त पत्र पर पीड़ित शिक्षक शैलेंद्र की प्रतिक्रिया पढ़ें-
सेवा में,
आदरणीय सम्पादक जी
भड़ास 4 मीडिया डॉट कॉम
दिल्ली/ नोएडा
विषय – संदीप तायल के द्वारा जो भी पेपर शपत पत्र दिए गए है वो निराधार असत्य है मेरे द्वारा कोई शपत पत्र नही दिया गया या न्यायालय में पेश हुआ हूं। संदीप तायल के द्वारा किये गए फर्जी वाड़े का मामला संज्ञान में आते ही मैने शपत पत्र दिया है।
महोदय – आपको अवगत कराना है कि प्रार्थी एक शिक्षक है, ना कि कोई षड्यंत्रकारी। आपको बता दूं कि संदीप तायल जो कि एक शातिर अपराधी प्रवृत्ति का व्यक्ति है, इस पर गुलावठी थाने में एक अन्य रंगदारी का भी मामला दर्ज है जो कि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दर्ज कराया गया है।
आपको बता दूं कि जैसे ही मुझे पुलिस के माध्यम से पता चला कि मेरे द्वारा एक शपथ पत्र पुलिस को प्राप्त हुआ है जिसमें संदीप तायल से फैसला मेरे द्वारा किया गया है तो मेरे द्वारा तुरंत एसएसपी ऑफिस में एक शपथ पत्र के माध्यम से बताया गया कि मेरे द्वारा किसी प्रकार का कोई शपथ पत्र नहीं किया गया है ना ही मेरा संदीप तायल से कोई फैसला हुआ है। प्रार्थी माननीय न्यायालय के समक्ष उक्त फैसलेनामे को लेकर कभी प्रस्तुति नहीं हुआ।
प्रार्थी ने जो अपनी तरफ से अभी शपथ पत्र लिख कर दिया है उसमें कहा गया है कि मेरे द्वारा पैसे से संबंधित कोई भी शपथ पत्र नहीं दिया गया है और अगर ऐसा कोई शपथ पत्र है तो वह फर्जी है। न्यायालय में भी अगर कोई शपथ पत्र फैसलेनामे को लेकर लगाया गया है तो वह फर्जी है। उस पर मेरे कोई हस्ताक्षर नहीं हैं।
आपके माध्यम से मेरे संज्ञान में आया है इसलिए मैं माननीय न्यायालय में भी इस शपथ पत्र के खिलाफ प्रार्थना पत्र देकर माननीय न्यायालय को भी अवगत करा लूंगा। प्रार्थी माननीय न्यायालय में कभी प्रस्तुत ही नहीं हुआ तो प्रार्थी के हस्ताक्षर का शपथ पत्र कैसे माननीय न्यायालय तक पहुंचा?
संदीप तायल एबीपी न्यूज़ के नाम के दम पर ही इस तरह के कृत्य करता है। खुद को फंसता देख वह इस तरह के फर्जी दस्तावेज बनवाकर आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा है जो कि निराधार हैं। इन समस्त पेपरों के खिलाफ ही प्रार्थी अपने शपथ पत्र दे चुका है।
शैलेन्द्र सिंह
शिक्षक
जनपद हापुड़
पूरे प्रकरण को समझने के लिए इन्हें भी पढ़ें-