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सुख-दुख

तितली उड़ी… चले जाना जरा ठहरो, किसी का दम निकलता है…

पुष्य मित्र-

चले जाना जरा ठहरो, किसी का दम निकलता है…

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राजकपूर की फिल्म अराउंड द वर्ल्ड का यह गीत बहुत प्यारा है। इस गीत में एक खास बात यह है कि इसमें जो स्त्री आवाज है वह अलहदा है। सुनिएगा तो समझ आएगा। वह आवाज पुराने जमाने की गायिका शारदा की है।

इस गायिका ने बहुत कम गीत गाए। एक गीत को शायद फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला है। एक तितली उड़ी तो हम सबने सुनी होगी।

कल इन्हीं का देहावसान हो गया था। इन्हें इस मौके पर हमें ठीक से याद करना था।

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मगर मेरे हमपेशा हड़बड़िया दोस्तों ने खबर चला दी कि बिहार की मशहूर गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया। उनकी हड़बड़ी ने दो हस्तियों का अपमान किया है। एक को हम ठीक से श्रद्धांजलि नहीं दे पाए, दूसरे को बेवजह परेशान किया।

ऑनलाइन मीडिया के इस दौर में खबरें ब्रेक करने के इस दौर हमसे बार बार यह चूक होती है। मगर अफसोस हम सुधरते नहीं।

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राघवेंद्र दुबे-

तितली उड़ी…. मशहूर पार्श्व गायिका शारदा राजन आयंगर का निधन हो गया है । वह 86 साल की थीं और कैंसर की मरीज । 1966 में आई फिल्म ‘ सूरज ‘ के गाने ‘ तितली उड़ी उड़ जो चली , फूल ने कहा आजा मेरे पास , तितली कहे मैं चली आकाश ‘ से वह गायकी की दुनिया में छा गयीं । उनका जन्म 25 अक्टूबर 1937 को तमिलनाडु के ब्राह्मण परिवार में हुआ था ।

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बताया जाता है कि ईरान में आयोजित संगीत समारोह में ग्रेट शो मैन राज कपूर साहब ने इन्हें गाते हुए सुना । हालांकि दक्षिण भारतीय होने की वजह से शारदा राजन आयंगर जी का हिंदी उच्चारण उतना अच्छा तो नहीं था लेकिन तब भी राज कपूर साहब उनकी आवाज से बहुत प्रभावित हुए । उनकी आवाज बहुत कमसिन , पाक और तितली की अठखेलियां लिए हुए थी । राजकपूर जी ने ही उन्हें मुंबई आकर खुद को आजमाने की सलाह दी ।

वह मुंबई पहुंची और उन्हें बहुत खुशी हुई कि राज कपूर उन्हें भूल नहीं गये थे । उन्होंने शारदा को झट से पहचान लिया । शंकर – जयकिशन जोड़ी के शंकर ने शारदा राजन आयंगर की शोख़ और कमसिन आवाज का इस्तेमाल उसी समय सोच लिया । फिर वह दिन भी जल्दी ही आया जब शंकर – जयकिशन ने फिल्म ‘ सूरज ‘ के लिए शारदा से दो गीत गवाये ‘ तितली उड़ी..’ और ‘ देखो मेरा मन मचल गया..’ ।

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लेकिन यह संयोग था कि ‘ सूरज ‘ से पहले मनोज कुमार और नंदा अभिनीत फिल्म ‘ गुमनाम ‘ रिलीज हो गई । इसमें शारदा राजन आयंगर का मोहम्मद रफी के साथ गाया गीत – ‘ जाने चमन शोला बदन पहलू में आ जाओ ‘ भी शामिल था ।

उस साल के फिल्म फेयर अवार्ड के लिए ‘ तितली उड़ी ..’ और रफी साहब के गाये गीत ‘ बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है ..’ दोनों गानों को बराबर वोट मिले । उन दिनों प्लेबैक सिंगर की कैटेगरी में पुरुष और महिला की आवाजों के लिए एक ही अवार्ड होता था । उस साल का अवार्ड मोहम्मद रफी साहब को मिला था । लेकिन शारदा को भी एक स्पेशल अवार्ड दिया गया ।

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इसके साथ ही शारदा जी ने इतिहास रच दिया । अबतक जो नहीं हुआ था वो हुआ । अगले साल से फिल्म फेयर ने पुरुष और महिला गायकों के लिए अलग-अलग अवार्ड देना शुरू किया । इनके गाये गानों को लगातार 4 वर्षों तक फिल्मफेयर अवार्ड्स में नामांकित किया गया । फिल्म ‘ जहां प्यार मिले ’ के गीत ‘ बात जरा है आपस की…’ के लिए उन्होने फिल्मफेयर अवाॅर्ड अपने नाम किया ।

1967 में शंकर जयकिशन के संगीत से सजी फिल्म ‘अराउंड द वर्ल्ड ‘ में शारदा राजन आयंगर के आवाज के जादू ने फिर कमाल कर दिया । ‘ चले जाना जरा ठहरो किसी का दम निकलता है ये मंजर देखते जाना ‘ , शारदा के गाये गीतों की जमकर तारीफ हुई ।

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विनम्र श्रद्धांजलि. …

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