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इन्हें सुनिए…CO रसड़ा फहीम कुरैशी हैं! गरीबों की आवाज चौहान को बंद कर दिया

नसे मिलिए, साहब बलिया के क्षेत्राधिकारी रसड़ा मो. फहीम कुरैशी हैं. DSP साहेब को सोशल मीडिया से बड़ी दिक्कत है. तब जब जिस सरकार में वे काम कर रहे हैं वो सरकार अपने प्रचार, प्रसार से जीत हार तक सोशल मीडिया का सहारा ले रही है. नीचे एक्स के थ्रेड में सुनिए, एक निहायत शरीफ आदमी को उठाकर थाने में बंद करने के बाद अपनी सफाई में क्या कह रहे हैं? कुरैशी साहब कह रहे हैं, ट्वीट करा रहे, वीडियो डाल रहे, दबाव बना रहे..वगैरा वगैरा. अब उनका कैमरा उनका मुँह, उनका थाना पुलिस कुछ भी बोल सकते हैं? आखिर सरकार ने इस खातिर ही तो पूरी छूट दे रखी है!

दरअसल, कल रविवार 26 नवंबर को बलिया के टिटिहा निवासी RTI एक्टिविस्ट सिंहासन चौहान अपनी समेत थाना भीमपुरा के बाहर शांतिपूर्वक धरने पर बैठे थे. मामला गांव के ही एक दबंग संजय मिश्रा द्वारा सिंहासन को थाने के भीतर जान से मारने की धमकी दी गई थी. जिसकी शिकायत लेकर वह थाने गये तो थानेदार महोदय ने शिकायत लेने से इनकार कर दिया. अब गरीब-मजलूम बदमाश के हाथ मरे या पुलिस के मरना उसे है ही. तो इस तरह मरने की बजाय सिंहासन पत्नी सहित थाने के बाहर धरने पर बैठ गये. रात आठ बजे तक उन्हें थाने में बिठाया. जिसके बाद रात 11 बजते ही उनके साथ मारपीट शुरू कर दी गई. पत्नी के सामने पीटा. पत्नी से भी अभद्रता हुई, ऐसा सिंहासन के परिजनों ने बताया. पूरी रात थाने में बिठाने के बाद अब वीडियो डालकर नई कहानी बताई जा रही है. इनपुट है कि सिंहासन को 151 की धारा लगाकर थाने में पाबंद कर लिया गया है.

अब वीडियो की बात करें तो सीओ साहब कह रहे हैं, जिस दिन यानी 26 नवंबर को पीड़ित अपनी शिकायत लेकर थाने गया, उसी दिन उसके खिलाफ एक अन्य मामले में शिकायत आ गई. जिस आधार पर उन्हें धारा 151 में निरूद्ध किया गया. ऐसा सीओ साहब अपने ही वीडियो में कह रहे हैं. इसके बाद वे कहते हैं कुछ लोगों द्वारा प्रकरण में ट्वीट-वीडियो डालकर दबाव बनाने का प्रयास किया गया. तो साहेब को पता रहना चाहिए सोशल मीडिया से सरकारें बन-गिर रही हैं. वे गिनती नहीं कर पाएंगे, एक दिन में जितने ट्वीट, पोस्ट, वीडियो अपलोड होते हैं. खान साहब वीडियो बनवाते समय कुछ ज्यादा ही भावनाओं में बहते दिख रहे हैं. एक खास बात और, वीडियो में खान साहब का चेहरा देखकर कुछ नाराजगी और बदले की भावना भी महसूस हो रही है. अब ये बदले की भावना अपनी ड्यूटी से है, सरकार से है या फिर बलिया-यूपी के मजलूमों-गरीबों की आवाज उठाने वालों से. इसका सही-सही उत्तर सीओ मो. फहीम कुरैशी साहब ही दे सकते हैं. आप लोग पूछिए.

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