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साहित्य

आम जीवन की बेबाकी से जिक्र करना और इसकी विसंगतियों की सारी परतें खोल देना यह विवेक और चिंता की उंचाइयों का परिणाम होता...

सुख-दुख

: ...दर्द से तेरे कोई न तड़पा आंख किसी की न रोयी : पत्थर के सनमपत्थर के खुदापत्थर के ही इंसा पाये है,तुम शह-रे...

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