Mayank Saxena : मेरे पिता चाहते थे कि मैं आईएएस बनूं, मैं सोचता था कि बन सकता हूं…फिर सच्चाई से साबका पड़ा…पिताजी को एक बार चुनाव की ड्यूटी पर लखनऊ के रमाबाई अम्बेडकर मैदान गया, तो एक आईएएस को सीएम रही एक दबंग महिला के पैरों में बैठ कर माफी मांगते देखा… उसके बाद पढ़ता और पता करता गया…अहसास हुआ कि आईएएस बन गया, तो या तो पैरों में पड़ा रहूंगा-व्यवस्था से मजबूरी में समझौता कर लूंगा या फिर रोज़ ट्रांसफर, सस्पेंशन, जांच होती रहेगी…और जीवन नर्क हो जाएगा…