माननीय सुप्रीम कोर्ट से मजीठिया को लेकर जो फैसला आया, उसको मालिकानों ने अपने काम कर रहे वर्कर के बीच गलत तरह से पेश किया। उदाहरण के तौर पर दैनिक जागरण को लेते हैं। सभी जानते हैं कि दैनिक जागरण का रसूख केंद्रीय सरकार से लेकर राज्य सरकारों तक में है। इनके प्यादे अक्सर इस बात की धौंस मजीठिया का केस करने वाले वर्करों को देते रहते हैं कि रविशंकर प्रसाद, जेटली जी और पी एम मोदी जागरण की बात सुनते हैं। देश में ऐसा कौन है जो जागरण की बात नहीं मानेगा? इन नेताओं की आय दिन तस्वीरें जागरण के मालिकानों के साथ अख़बारों में छपती रहती हैं। देखें तो, प्यादों की बात सही भी है, क्योंकि यह सब जागरण के वर्करों ने देखा भी है। तभी तो जागरण के मालिकान और मैनेजमेंट बेख़ौफ़ होकर किसी भी दफ्तर में गलत तर्क या गलत शपथ पत्र देते नहीं हिचकते हैं।