8 फरवरी 2015 को इंदिरापुरम, ग़ाज़ियाबाद में Saroj Singh की काव्यकृति ‘तुम तो आकाश हो’ का विमोचन हुआ। इस किताब का लोकार्पण हिंदी की मूर्धन्य कथाकार मैत्रेयी पुष्पा, दुनिया इन दिनों के प्रधान संपादक सुधीर सक्सेना, कवि सिद्धेश्वर सिंह, संस्कृत की प्राध्यापिका हीरावती सिंह तथा लेखक और साइक्लिस्ट राकेश कुमार सिंह ने किया।
‘तुम तो आकाश हो’ की कविताओं के आलोक में समकालीन स्त्री लेखन पर टिप्पणी करते हुए मैत्रेयी पुष्पा ने कहा कि इस समय का स्त्री लेखन काफी बेबाक हुआ है। लिखने के ख़तरे कम हुए हैं। फेसबुक जैसे नवमंचों ने इस ख़तरे को और कम तो किया ही है, साथ ही लिखने, छपने औैर पाठक तक पहुँचने की प्रक्रिया आसान भी किया है।
सरोज सिंह ने अपनी कुछ कविताओं के पाठ के साथ-साथ अपने रचनाकर्म की शुरुआत और रचना को गंभीरता से लेने की कहानी को संक्षेप में उपस्थित श्रोताओं के समक्ष रखा। संदीप सिंह ‘साहिल’ ने संग्रह की कुछ रचनाओं का प्रभावी पाठ किया। किताब पर राकेश कुमार सिंह, हीरावती सिंह, सिद्धेश्वर सिंह और सुधीर सक्सेना के अपने विचार रखे। धन्यवाद ज्ञापन सीआईएसएफ के सीनियर कमांडेंट पी.पी. सिंह ने और संचालन कवयित्री इंदु सिंह ने किया।