सरोज सिंह के पहले कविता संग्रह ‘तुम तो आकाश हो’ का लोकार्पण

8 फरवरी 2015 को इंदिरापुरम, ग़ाज़ियाबाद में Saroj Singh की काव्यकृति ‘तुम तो आकाश हो’ का विमोचन हुआ। इस किताब का लोकार्पण हिंदी की मूर्धन्य कथाकार मैत्रेयी पुष्पा, दुनिया इन दिनों के प्रधान संपादक सुधीर सक्सेना, कवि सिद्धेश्वर सिंह, संस्कृत की प्राध्यापिका हीरावती सिंह तथा लेखक और साइक्लिस्ट राकेश कुमार सिंह ने किया।

पगड़िया बाबा… खपड़िया बाबा… ऐसे हजारों बाबा अपना खेल रच रहे, खबर आपको केवल रामपाल की है!

Shailesh Bharatwasi : लगभग 15 साल पुरानी बात है। मेरे गाँव, डोमा में एक बाबा आए। पगड़िया बाबा। सर पर पगड़ी बाँधते थे, इसलिए अपनी ख्याति इसी नाम से चाहते थे। बाबा हमारे गाँव में अखंड रामायण पाठ और जग (यानी यज्ञ) करवाने आए थे। उन्हें गाँव के लोगों ने कभी आमंत्रित नहीं किया था, वे ख़ुद ही अपना डेरा जमा लिए थे। हमारे तरफ़ के गाँवों के अधिकाधिक सार्वजनिक आयोजन गाँव के एकमात्र सरकारी प्राथमिक विद्यालय में ही होते हैं।

तीन बड़ी आनलाइन दुकानों के बाद होमशाप18 ने भी किताबें बेचना बंद कर दिया

Shailesh Bharatwasi : किताबों की ऑनलाइन बिक्री के लिए बुरी ख़बरों के आने का दौर अभी थमा नहीं है। इस साल के शुरुआत से अब तक 4 बड़ी ऑनलाइन दुकानों ने किताबें बेचना बंद कर दिया है। ईबे, स्नैपडील, बुकअड्डा से किताबों की आलमारियाँ तो ग़ायब हो ही गई थीं, इस साल धनतेरस के दिन से होमशॉप18 ने भी किताबें बेचना बंद कर दिया। हम पाठकों के पास फ्लिपकार्ट, इंफीबीम और अमेज़ॉन जैसे गिने-चुने विकल्प ही बचे रह गए हैं। जिस तेज़ गति से ऑनलाइन मंडियों से किताबों का हिस्सा छिन रहा है, उससे तो यही लगता है कि ये कुछ विकल्पों के भी खत्म होने में ज़्यादा वक़्त शेष नहीं है। विशेषरूप से हिंदी किताबों के पाठकों के लिए किताबों की इन ऑनलाइन दुकानों ने जिस तरह से उम्मीद की फ़सल बोयी थी, लगता है उनको भी बुरे वक़्त का पाला मारता जा रहा है।