Jaleshwar U- ब्रिटेन के मशहूर अखबार ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ की एक खबर ने दुनिया में हलचल मचा डाली है। राजनयिक हल्के में भारत की छवि पर इसका गहरा असर पड़ेगा। इसको लेकर हिंदी पट्टी के अखबारों ने कैसा रुख अपनाया है, यह समझना दिलचस्प है। अंग्रेजी के अखबारों में कमोबेश संतुलन नजर आता है लेकिन हिंदी वाले अपने पाठकों को सूचनाएं देने में ‘ऊपर वालों’ का ख्याल रखते हैं।
उपर दो अखबारों की कतरनें हैं, पहली अमर उजाला की, इसमें फाइनेंशियल टाइम्स के हवाले से लगभग पूरी बात कही गई है। अमेरिका ने चेतावनी दी, इसका भी जिक्र है। दूसरी कतरन ‘हिंदुस्तान’ की है, इसमें मूल खबर की सारी प्रमुख सूचनाएं नदारद हैं। यहां तक कि अमेरिका का इस संदर्भ में क्या रुख है, इसको पूरी तरह छुपाया गया है। क्या यह माना जा सकता है कि यह सायास नहीं है? आखिर इस पर्देदारी की वजह क्या हो सकती है? बेरुखी बेसबब तो नहीं हो सकती।
क्या है पूरा मामला?
FT यानी फाइनेंशियल टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकारियों ने अमेरिका में चर्चित आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश को नाकाम कर दिया है. साथ ही इस साजिश में भारत सरकार की संलिप्तता को लेकर चेतावनी जारी की है. रिपोर्ट में इस जानकारी के लिए ‘मामले से परिचित कई लोगों’ का हवाला दिया गया है, लेकिन इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि क्या भारत ने चेतावनी की वजह से इस योजना को शुरू करने से पहले ही रोक दिया या फिर FBI ने पहले ही इस योजना को विफल कर दिया.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘राजनयिक चेतावनी’ के अलावा, संघीय अभियोजकों ने ‘न्यूयॉर्क जिला अदालत में इस साजिश में शामिल कम से कम एक कथित अपराधी के खिलाफ’ एक सीलबंद अभियोग दायर किया है. इस मामले में दैनिक जागरण ने, अमेरिका द्वारा भारत पर कनाडा की तरह आरोप लगाने की बात लिखी है, वहीं NBT ने हिंदुस्तान जैसी गंभीरता को आत्मसात किया है.