मोदी राज में सरकार की कमियों के खिलाफ लिखने-पढ़ने और आवाज उठाने वाले मीडियाकर्मियों का नौकरी में रह पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन होता जा रहा है. ताजा शिकार हुए हैं कार्टूनिस्ट मंजुल.
मंजुल के कार्टूनों से डरी हुई मोदी सरकार ने ट्वीटर को पत्र लिखकर मंजुल के कार्टून कंटेंट को भारतीय कानून का उल्लंघन बताया और इसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा. ट्वीटर ने इस बाबत मंजुल को पत्र जारी किया. मंजुल ने इस पत्र को सार्वजनिक किया तो हर तरफ मोदी सरकार की इस हरकत की आलोचना होने लगी.
अब मालूम चला है कि अंबानी के मीडिया हाउस नेटवर्क18 में कार्यरत कार्टूनिस्ट मंजुल को नौकरी से भी निकाल दिया गया है. ऐसा ट्वीटर द्वारा नोटिस मिलने के फौरन बाद किया गया. मतलब कि ट्वीटर एक नोटिस जारी कर दे कि आपके कंटेंट को लेकर भारत सरकार ने पत्र लिखा है, कृपया कंटेंट की समीक्षा करें, तो क्या आप ऐसे नोटिस पर किसी की नौकरी ले लेंगे?
कहा जा रहा है कि मोदी सरकार के प्रवक्ता के रूप में कार्यरत अंबानी के चैनल नेटवर्क18 पर भी सत्ता का दबाव पड़ा और मंजुल को सबक सिखाने की चौतरफा कवायद के तहत उन्हें यहां से नौकरी से निकाल दिया गया.
ज्ञात हो कि मंजुल बतौर कार्टूनिस्ट पिछले छह साल से नेटवर्क18 ग्रुप के साथ कांट्रैक्ट बेसिस पर काम कर रहे थे. उन्हें आठ जून को नौकरी से निकाल दिया गया. यह घटनाक्रम ट्विटर द्वारा मंजुल को नोटिस जारी करने के चार दिन बाद घटित हुआ.
ज्ञात हो कि मोदी सरकार पहली ऐसी सरकार है जो अपने से असहमत पत्रकारों के पीछे पड़कर उनको नौकरी से निकलवा देती है. जो नौकरी में नहीं होते हैं उनके खिलाफ एफआईआर करा देती हैं. पुण्य प्रसून बाजपेयी, अभिसार शर्मा, नवीन कुमार आदि मोदी सरकार द्वारा ‘दंडित’ कैटगरी के पत्रकार हैं.
रवीश कुमार इसलिए बचे हुए हैं क्योंकि वो जिस एनडीटीवी में काम करते हैं उसके मालिक की ही मोदी सरकार से नहीं पटती है. एनडीटीवी के मालिक प्रणय राय कांग्रेस और वामपंथ के करीबी माने जाते हैं. इसलिए रवीश कुमार को तमाम दबावों कोशिशों के बाद भी मोदी सरकार एनडीटीवी से नहीं निकलवा सकी. हालांकि इसके एवज में एनडीटीवी और प्रणय राय को बहुत सारे सरकारी छापों, नोटिसों, मुकदमों, आरोपों का सामना करना पड़ा और पड़ रहा है.
विनोद दुआ आदि उस कैटगरी में हैं जिनके खिलाफ राजद्रोह का एफआईआर कराकर सबक सिखाया जाता है. अभी हाल में ही सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह का मुकदमा विनोद दुआ पर से खारिज किया है.
मंजुल के कार्टून देखने और ये पूरा प्रकरण समझने के लिए नीचे दिए शीर्षकों पर क्लिक करें-
इस कार्टूनिस्ट से डर गई मोदी सरकार!
सरकार सोशल मीडिया पर आनेवाले कार्टून बहुत गौर से देखती है!
पीएम के संबोधन पर मंजुल का ये कार्टून वायरल
‘गोदी मीडिया’ पर बने ये सात कार्टून न देखा तो क्या देखा!
मंजुल द्वारा बनाए गए ये दो हाल-फिलहाल के कार्टून देखें-
कोरोना मारने की बजाय ट्विटर-फेसबुक कंट्रोल करने और यहां सरकार की कमियों पर लिखने पढ़ने वाले लोगों को निपटा रहे मोदीजी पर कार्टूनिस्ट की नजर…
कोरोना काल की सेकेंड वेब कमजोर पड़ने के बाद खुद की पीठ थपथपाने हेतु किए गए राष्ट्र के नाम संबोधन पर कार्टूनिस्ट की नजर…
lav kumar singh
June 11, 2021 at 6:37 pm
आप ही के अनुसार….ज्ञात हो कि मंजुल बतौर कार्टूनिस्ट पिछले छह साल से नेटवर्क18 ग्रुप के साथ कांट्रैक्ट बेसिस पर काम कर रहे थे….मतलब 6 साल से मंजुल, अपने मनमाफिक मोदी को लपेट रहे थे और कुछ नहीं हुआ। कमाल है, ये तो मोदी की तारीफ हो गई।
Purushottam Sharma
June 11, 2021 at 6:44 pm
निष्पक्ष पत्रकारिता।