Priyabhanshu Ranjan : तो क्या वाकई चीन के दबाव में झुक गई 56 इंच के सीने वाली मोदी सरकार? पिछले दिनों खबर आई कि UN में आतंकवादी मसूद अजहर पर पाबंदी लगाने के भारत के प्रस्ताव पर चीन की ओर से अड़ंगा (Veto) लगाए जाने के जवाब में मोदी सरकार ने चीन के विद्रोही उइगुर नेता Dolkun Isa को भारत आने का वीजा दिया है ताकि वो यहां चीन के विद्रोही नेताओं (Dissident Leaders) की बैठक में शिरकत कर सके।
गौरतलब है कि अब जर्मनी के नागरिक बन चुके Dolkun Isa को चीन ‘आतंकवादी’ मानता है। मोदी सरकार के इस कदम से जुड़ी खबरों में कुछ अति-उत्साही पत्रकारों ने जनता को बताया कि मसूद अजहर के मुद्दे पर चीन ने UN में जो कुछ भी किया है, ये उस पर मोदी सरकार की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई है और चीन को दिया गया एक STRONG MESSAGE है।
मैं अमूमन मोदी सरकार की आलोचना करता हूं, लेकिन ये खबर पढ़ कर मुझे बड़ी खुशी हुई। मैंने उस खबर को फेसबुक पर शेयर भी किया। सोचा कि चलो 56 इंच के सीने वाली ये सरकार कुछ काम तो आई। कम से कम इसमें चीन को आंख दिखाने की हिम्मत तो है।
लेकिन कल मैंने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप का बयान देखा कि मोदी सरकार को तो पता ही नहीं कि Dolkun Isa को वीजा कैसे मिला। विकास ने कहा कि हम देख रहे हैं कि Dolkun को वीजा कैसे मिला। मुझे तभी समझ आ गया था कि लगता है बीजिंग ने मोदी सरकार पर दबाव बना दिया है।
और अब खबर आई है कि भारत ने Dolkun का वीजा रद्द कर दिया है। यानी मसूद अजहर के मुद्दे पर मोदी सरकार के STRONG MESSAGE की हवा निकल गई।
हाय रे 56 इंच का सीना!
पत्रकार प्रियभांशु रंजन के फेसबुक वॉल से.
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