आज के दौर में ईमानदार होने का मतलब हो गया है प्रताड़ित होते रहना. हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका इसके आदर्श उदाहरण हैं. सीनियर आईएएस अशोक खेमका की 2016-17 की वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (एसीआर) को खुद सीएम मनोहर लाल खट्टर ने खराब कर दिया है.
एसीआर में सीएम मनोहर लाल ने खेमका के अंक घटाते हुए प्रतिकूल टिप्पणी कर दी. इससे प्रमोशन रुकने का खतरा देख खेमका ने कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) में अर्जी लगाई, लेकिन वहां से कोई राहत न मिलने पर अब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. इस पर न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की खंडपीठ ने मुख्य सचिव के जरिए प्रदेश सरकार को नोटिस भेजा है। मामले की सुनवाई अगले माह होगी।
दरअसल 1991 बैच के आईएएस अशोक खेमका ने 7 जून 2017 को वर्ष 2016-17 के लिए एप्रेजल भरा था. इसमें मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने उन्हें 10 में से 8.22 नंबर दिए. 27 जून को खेल एवं युवा मामलों के मंत्री अनिल विज ने उन्हें 10 में से 9.92 अंक देते हुए अच्छी टिप्पणी की कि कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने 3 साल में 20 से अधिक आईएएस अफसरों के साथ काम किया, लेकिन कोई भी अधिकारी खेमका के करीब नहीं था, खेमका की योग्यता, सच्चाई, ईमानदारी का कोई सानी नहीं. 31 दिसंबर 2017 को खेमका की एप्रेजल रिपोर्ट सीएम मनोहर लाल के पास पहुंची. सीएम ने खेमका के नंबर काट दिए और लिखा कि खेमका पर विज की रिपोर्ट में थोड़ा बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है.
एसीआर में 10 में से 9 अंक होने के बावजूद सीएम की टिप्पणी से खेमका की केंद्र में अतिरिक्त सचिव के रूप में पदोन्नति प्रभावित हो सकती है. एक बैच से केवल 20 फीसदी आईएएस अफसरों को उच्च स्तर के लिए प्रमोट किया जाता है. मुख्यमंत्री की टिप्पणी खेमका के खिलाफ काम करेगी. हाईकोर्ट में याचिका लगाते हुए अपनी मूल्यांकन रिपोर्ट से सीएम की टिप्पणी हटाने और विज द्वारा दिए 9.92 नंबर बहाल कराने की मांग की है.
इस प्रकरण पर लखनऊ के युवा पत्रकार Navneet Mishra कहते हैं-
”बीजेपी शासित हरियाणा के मुख्यमंत्री को यह बात नागवार गुज़र गई कि कैसे उनके मंत्री अनिल विज ने आईएएस अशोक खेमका को एसीआर में अच्छे अंक दे दिए। मुख्यमंत्री ने चिढ़न में अंक ही काट दिए। जबकि मंत्री अनिल विज ने अप्रेजल रिपोर्ट में लिखा है कि उनके मंत्रित्वकाल में करीब बीस आईएएस से पाला पड़ा, मगर अशोक खेमका का कोई जोड़ नहीं। उनकी कर्तव्यपरायणता और ईमानदारी लाजवाब है।”