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अखिलेश, ये हाल है तुम्हारे (जंगल)राज में… पुलिस रिश्वत लेकर देती है डेडबाडी!

Harendra Singh : बीती (23 सितंबर 2014) रात मेरे बेटे हर्षित का करीब 1.45 am पर फोन आया। मैंने फोन उठाया, तो घबराहट में बोला, पापा मैं चारबाग स्टेशन पर हूँ, आप जानते हैं सनबीम में मेरा सहपाठी आशीष था, वह अपने पापा को इलाज के लिए पटना से एम्स दिल्ली ले जा रहा था, पर रास्ते चारबाग से पहले ही अंकल का देहांत हो गया है, और जीआरपी पुलिस के लोग उनकी डेडबाडी नहीं दे रहे हैं, जबकि अंकल का treatment file व reference form मैं दिखा रहा हूं।

<p>Harendra Singh : बीती (23 सितंबर 2014) रात मेरे बेटे हर्षित का करीब 1.45 am पर फोन आया। मैंने फोन उठाया, तो घबराहट में बोला, पापा मैं चारबाग स्टेशन पर हूँ, आप जानते हैं सनबीम में मेरा सहपाठी आशीष था, वह अपने पापा को इलाज के लिए पटना से एम्स दिल्ली ले जा रहा था, पर रास्ते चारबाग से पहले ही अंकल का देहांत हो गया है, और जीआरपी पुलिस के लोग उनकी डेडबाडी नहीं दे रहे हैं, जबकि अंकल का treatment file व reference form मैं दिखा रहा हूं।</p>

Harendra Singh : बीती (23 सितंबर 2014) रात मेरे बेटे हर्षित का करीब 1.45 am पर फोन आया। मैंने फोन उठाया, तो घबराहट में बोला, पापा मैं चारबाग स्टेशन पर हूँ, आप जानते हैं सनबीम में मेरा सहपाठी आशीष था, वह अपने पापा को इलाज के लिए पटना से एम्स दिल्ली ले जा रहा था, पर रास्ते चारबाग से पहले ही अंकल का देहांत हो गया है, और जीआरपी पुलिस के लोग उनकी डेडबाडी नहीं दे रहे हैं, जबकि अंकल का treatment file व reference form मैं दिखा रहा हूं।

पहले तो मुझे हर्षित पर बहुत गुस्सा आया कि 26 सितम्बर से इसका exam है, और ये महोदय रात के डेढ़ बजे चारबाग स्टेशन पर हैं। तुरन्त आभास हुआ कि वह एक अच्छे उद्देश्य के लिए समय दे रहा है, यह निश्चित रूप से अच्छा कार्य है। बातचीत में पता चला कि अन्त में जीआरपी चारबाग के लोगों ने बच्चों से 5000 रुपये लेकर उसके पिता के शव को रात्रि में ही जाने दिया। मैं यह विषय सोशल मीडिया पर इसलिए लिखा रहा हूँ कि आपलोग ज्यादा से ज्यादा शेयर कर विषय को सरकार व उच्च अधिकारियों तक पहुंचायें ताकि भविष्य में किसी बेटे को अपने पिता का शव प्राप्त करने के लिए पुलिस को घूस न खिलाना पड़े।

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जौनपुर निवासी हरेंद्र सिंह के फेसबुक वॉल से.

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