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हलासन : स्त्री पुरुष दोनों के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन के लिए प्रभावशाली

डॉ एमडी सिंह-

योगासनों में हलासन का एक महत्वपूर्ण स्थान है। हल का सीधा संबंध उत्पादकता से है। इस तरह यह हमारे प्रजनन तंत्र से सीधा जुड़ा हुआ है। हल जिसमें पृथ्वी को जोतने की शक्ति होती है, इस तरह वह पौरुष का प्रतीक है। दूसरी तरफ वह पृथ्वी की उत्पादकता को भी बढ़ाता है, इसलिए वह स्त्रियों की प्रजनन क्षमता को भी सकारात्मक तरीक़े से प्रभावित करता है।

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अपनी इन्हीं उपयोगिताओं के कारण हलासन पुरुष और स्त्री दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। हलासन जहां एड्रीनलीन, इंसुलिन एवं टेस्टोस्टेरोन हार्मोन को उत्प्रेरित करता है तो वहीं स्त्री हार्मोन प्रोजेस्ट्रोन और एस्ट्रोजन के संतुलित सेक्रेशन को भी बल देता है। स्त्री पुरुष दोनों के रिप्रोडक्टिव ऑर्गन इस आसन के मुख्य दबाव क्षेत्र में आते हैं।

हलासन आमतौर पर सर्वांगासन के बाद किया जाने वाला आसन है। इसमें योगी सर्वांगासन की मुद्रा में ही अपनी दोनों टांगों को कमर के पास से चेहरे को ढंकते हुए नीचे ले जाकर सर के पीछे जमीन से लगा देता है। दोनों हाथ जो सर्वांगासन में कुहनी के पास से उठकर कमर को सपोर्ट किए होते हैं अब हलासन में पीठ के पीछे जमीन पर एक दूसरे के समानांतर रख दिए जाते हैं। इस अवस्था में 2 से 3 मिनट तक बने रहना पर्याप्त शक्ति संतुलन और उर्जा का संवाहक होगा।

संभवतः हलासन एकमात्र आसान है जो मानव शरीर के प्रत्येक एंडोक्राइन ग्रंथि को प्रभावित करता है और उनके हार्मोन उत्सर्जन को उत्प्रेरित करता है। जहां यह पुरुषों के वृषण, महिलाओं के डिंब ग्रंथियों पर सीधा प्रभाव डालता है वहीं पैंक्रियाज पर उपस्थित पैंक्रियाटिक ग्लैंड, किडनी पर उपस्थित एड्रिनल कार्टैक्स, छाती में उपस्थित थायमस ग्लैंड, गले में उपस्थित थाइरोइड ग्लैंड एवं ब्रेन में उपस्थित पिट्यूटरी ग्लैंड इत्यादि सभी अंतः स्रावी ग्रंथियों को भी उतनी ही क्षमता से प्रभावित करता है। इस आसन को करते समय अपने शरीर में उपस्थित सारी अंतः स्रावी ग्रंथियों को स्वस्थ एवं शुद्ध होने का भाव मन में बनाए रखना चाहिए। इस तरह हम देखें तो हलासन सर्वांगासन की प्रक्रिया को संपूर्ण करता है।

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सच पूछिए तो हलासन योगी को हल की तरह शक्तिशाली, हलवाहे की तरह संतुलन बनाए रखने वाला और किसान की तरह उदार बनाता है। सुंदर, युवा और ऊर्जावान बनाए रखने में इससे बड़ा कोई आसन नहीं। इस आसन को हर आयु एवं प्रत्येक जेंडर के लोग कर सकते हैं।

इस आसन के बाद चक्रासन करना चाहिए। सर्वाइकल स्पॉन्डलोसिस से पीड़ित व्यक्ति इस आसन को करने से बचें।

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हलासन के साथ जरूरत पड़ने पर हम होम्योपैथिक औषधियों लाइकोपोडियम, सेलेनियम, योहिम्बिनम, टेस्टिस, सीपिया, पलसाटिला, ऊफोरिनम, इंसुलिन, एड्रीनलिन, फास्फोरस, एसिड फास, कैलकेरिया आयोड, कोनियम मैकुलेटम, ब्रोमियम, थाइरॉएडिनम, पिट्यूटरिन, आयोडियम एवं ए सी टी एच इत्यादि का प्रयोग करके अद्भुत लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

नोट-औषधियों का चयन होमियोपैथिक चिकित्सकों की राय पर ही किया जाए।

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डॉ एम डी सिंह की पुस्तक ‘संपूर्ण योग सिद्धांत एवं होमियोपैथिक दृष्टिकोण’ से.


बंदर बनिये, दिल स्ट्रॉंग करिए!
https://youtube.com/shorts/XP_31d3ztNU?feature=share

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