हिन्दुस्तान अखबार प्रबंधन इन दिनों मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार बकाया मांगने वालों के खिलाफ लगातार दमन की नीति अपना रहा है और अपने ही किये वायदे से मुकर रहा है। रांची में मजीठिया वेज बोर्ड के अनुरूप वेतन और भत्ते मांगने वाले दो कर्मचारियों ने जब श्रम आयुक्त कार्यालय में क्लेम लगाया तो इनका ट्रांसफर कर दिया गया। जब ये लोग कोर्ट से जीते तो हिन्दुस्तान प्रबंधन को उन्हें वापस काम पर रखना पड़ा। तीन दिन बाद ही जब ये कर्मचारी कार्यालय आकर काम करने लगे तो उन्हें कार्मिक प्रबंधक ने कालर पकड़ कर अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुये जबरी ट्रांसफर लेटर थमाने का प्रयास किया।
लखनऊ में भी हिन्दुस्तान प्रबंधन इसी तरह की रणनीति मजीठिया वेज बोर्ड मांगने वालों के साथ इस्तेमाल कर चुका है। रांची में भी ऐसा ही किया जा रहा है। यहां मजीठिया वेजबोर्ड की लडाई लड रहे रांची हिन्दुस्तान के संपादकीय विभाग में कार्यरत मुख्य उप संपादक अमित अखौरी और वरीय उप संपादक शिवकुमार सिंह के साथ एचआर हेड हासिर जैदी ने 17 फरवरी को करीब पौने पांच बजे शाम को काफी बदतमीजी की।
पहले शिवकुमार सिंह को अपने कक्ष में बुलाकर कॉलर पकड़ा और हड़काया, फिर अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए कहा कि इस लेटर पर साइन करो। उन्होंने पूछा कि लेटर में क्या है, तो एचआर हेड ने कहा कि तुम दोनों का तबादला रांची हेड आफिस से उत्तराखंड के हल्द़वानी में कर दिया गया है। जब शिवकुमार सिंह ने लेटर पर साइन करने से इनकार कर दिया, तो उनके साथ अभद्रता से पेश आते हुए हासिर जैदी ने गाली देते हुए कहा- ”साले पेपर पर साइन करो, नहीं तो दोनों को बड़ी मार मारेंगे, साले तुम लोगों के कारण हम अपनी नौकरी को खतरे में क्यों डालें, अब तुम लोगों को कोई सैलेरी-वैलेरी नहीं मिलेगी, दिल्ली से साला एचआर हेड राकेश गौतम ने तुम लोगों के कारण मेरी नींद हराम कर रखी है।”
शिवकुमार सिंह के हल्ला करने पर कक्ष के बाहर खड़े अपनी बारी का इंतजार कर रहे अमित अखौरी दौड़कर कक्ष में घुसे तो उन्हें भी गाली देते हुए हासिर जैदी ने जबरन लेटर पर साइन मांगा। दोनों के इनकार करने पर गार्ड को गेट बंद करने को कहा। फिर कहा कि ठहरो, दोनों ऐसे नहीं मानेगा, सालों तुम दोनों को ठीक करता हूं। यह कहते हुए कक्ष का दरवाजा लगाने के लिए जैसे ही वह आगे बढा, तो अमित अखौरी और शिवकुमार सिंह कक्ष से निकलकर गेट से बाहर भाग खड़े हुए।
बता दें कि दोनों को श्रम अधीक्षक कोर्ट से तो बड़ी राहत मिली थी। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद हिन्दुस्तान प्रबंधन ने 13 फरवरी को दोनों कर्मियों को ज्वाइन करा दिया था। लेकिन हाजिरी बनाने के बाद भी इनसे संपादकीय विभाग में काम नहीं लिया जा रहा था। मजीठिया वेजबोर्ड की अनुशंसा के तहत वेतन, एरियर, भत्ता समेत अन्य सुविधाओं की मांग करने पर इन दोनों कर्मियों को क्रमश: 17 नवंबर और छह दिसंबर 2016 से प्रबंधन ने मौखिक रूप से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
श्रम अधीक्षक कोर्ट के समक्ष हिन्दुस्तान रांची के एचआर हेड हासिर जैदी ने आठ फरवरी को सुनवाई के दौरान इन दोनों कर्मियों का बिना सर्विस ब्रेक किए ज्वाइन कराने और वेतनादि देने पर सहमति व्यक्त की थी। लेकिन पांच दिन के बाद ही दोनों को तबादले का लेटर थमाया जा रहा था। इन दोनों कर्मचारियों का तबादला लेटर बाद में उनके मेल पर भेज दिया गया। आपको बता दें कि इसके पहले भी हिन्दुस्तान प्रबंधन ने लखनऊ में इसी रणनीति का इस्तेमाल किया था। पहले सम्मान के साथ वापस काम पर रखा जाता है फिर बाद में मजीठिया वेज बोर्ड मांगने वाले कर्मचारियों को टार्चर किया जाता है।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
९३२२४११३३५
Comments on “हिन्दुस्तान रांची के हेचआर हेड ने मजीठिया मांगने वाले दो कर्मियों के साथ की बदतमीजी, कॉलर पकड़ हड़काया, गाली दी”
Maaro Pakad-pakad ke ssaalon ko. Tabhi ye sudharenge.. Do-char buri tarah pit gaye na, to mamla hi thanda pad jayega…
GHULAMI ki had ho gayee Press Council of India and union labour ministry should intervene .Third degree torture
i