Santosh Singh : जेल भी जानेमन हो सकती है, अगर वो शख्स यशवंत भाई जैसा दिलेर हो… “जानेमन जेल” की एक प्रति खुद लेखक के हाथ से प्राप्त करते हुए… यशवंत भाई की यह अद्भुत किताब मैंने तो पूरी पढ़ ली…और इतनी अच्छी लगी कि एक बैठक में ही पढ़ ली…. एक बात और कहूँगा …”वो जवानी..जवानी नही, जिसकी कोई कहानी न हो”… और यशवंत भाई की यह कहानी रोमांचित करती है!
बीएचयू से एमबीए कर चुके और भारतीय रेल, कानपुर में कार्यरत संतोष सिंह के फेसबुक वॉल से.
Yashwant Singh : मेरे गृह जिले गाजीपुर में ‘जानेमन जेल’ किताब उपलब्ध. लंका बस स्टैंड पर शराब की दुकान के बगल में दो किताब की दुकानें हैं. दोनों पर ही ‘जानेमन जेल’ की पांच पांच प्रतियां रखवा दी गई हैं. कोई भी इन्हें खरीद सकता है. एक दुकान की तस्वीर भी यहां डाल रहा हूं. सो, गाजीपुर वाले अब न कह पाएंगे कि उन्हें तो किताब मिली ही नहीं.
और हां, अगर आप गाजीपुर जिले में नहीं रहते तो आपके लिए किताब मंगाने का एक बेहद आसान तरीका है. आप अपना पूरा पता (मोबाइल नं और पिन कोड भी डाल दें) लिखकर मोबाइल नंबर 09873734046 पर SMS कर दें, साथ में यह भी लिख दें कि ‘जानेमन जेल’ किताब चाहिए. किताब आपके दरवाजे पर पहुंच जाएगी और पैसा तभी देना है जब किताब आपके हाथ में हो.
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.