लखनऊ नगर निगम अब दैनिक जागरण के दफ्तर से चल रहा है। यूं तो प्रदेश में भाजपा ने 17 नगर निगम फतेह कर लिए लेकिन लखनऊ में यह सीट जागरण के पास आई। लखनऊ में पार्टी की पुरानी कार्यकर्ता सुषमा खर्कवाल मेयर चुनीं गईं। मेयर को दैनिक जागरण के पत्रकार और सिटी इंचार्ज अजय श्रीवास्तव ने जाने क्या समझाया बुझाया और सारी कमान अपने हाथ में ले ली।
यूं तो अजय श्रीवास्तव बहुत वरिष्ठ पत्रकार हैं। जागरण के पुराने सम्पादक दिलीप अवस्थी ने अजय श्रीवास्तव को स्टेट ब्यूरो में भेज दिया। अजय बहुत परेशान हुए। हर तरह से दिलीप अवस्थी को मैनेज करने का प्रयास किए लेकिन हो नहीं पाया।
नए संपादक आशुतोष शुक्ला के आते ही अजय श्रीवास्तव वापस सिटी इंचार्ज हुए और अपनी पुरानी बीट नगर निगम फिर से पहुंच गए। यह अपनी तरह का पहला मामला है।
आज के समय लखनउ की मेयर वही कर रही हैं जो अजय श्रीवास्तव कह रहे हैं। ताजा मामला आरआर विभाग पर पड़े फिल्मी स्टाइल के छापे का है। अजय श्रीवास्तव को साथ लेकर मेयर ने छापा मारा। दैनिक जागरण ने एक्सक्लूसिव कथित रूप से घोटाले की ख़बर छापी। लेकिन उस खबर का कोई फॉलोअप दूसरे दिन नहीं छपा। अब यह अपनी तरह का पहला मामला है कि किसी कथित घोटाले की खबर एकदिन छपने के बाद गायब हो जाती है।
ऊपर लिखी सारी बातों को हम अगर झूठ मानें तो भी अजय श्रीवास्तव को एक ही बीट एक ही शहर में बरसों बरस से देखने का मामला भी पूरे देश में अकेला है। अजय श्रीवास्तव के कुचक्र से कई होनहार पत्रकार नौकरी छोड़ चुके हैं। जागरण प्रबंधन और सम्पादक आशुतोष शुक्ला न जाने किस मजबूरी में सब कुछ जानते हुए भी आंखे बंद किए हुए हैं।
PEEYUSH TRIPATHI
July 13, 2023 at 10:11 pm
2003 में मैंने कुछ समय लखनऊ जागरण में काम किया। उस समय आशुतोष जी लोकल के इंचार्ज थे। दिलीप अवस्थी जी उस समय विनोद शुक्ल के बाद नम्बर टू थे । अजय श्रीवास्तव उस समय स्ट्रिंगर थे और तब भी नगर निगम ही देखते थे। इसमें कोई शक नहीं कि अजय श्रीवास्तव की नगर निगम पर पकड़ बहुत जबरदस्त है।
पीयूष त्रिपाठी