Riwa S. Singh : अभी तक समझ नहीं पा रही हूं कि जेसिका लाल के हत्यारे मनु शर्मा की रिहाई पर सन्नाटे की बड़ी वजह क्या है:
- उसका सम्भ्रांत कुल से होना, उसके पिताजी का रसूख़दार राजनेता और न्यूज़ चैनल का मालिक होना।
- न्यायतंत्र और प्रशासन का निराशाजनक रवैया जिस कारण कुछ भी अप्रत्याशित नहीं लग रहा।
क्या मनु शर्मा का आचरण इतना अव्वल हो गया था कि प्रशासन रिहा किये बिना रह न सका!
जब क़ैदी था तब भी टहलते हुए भीतर-बाहर जाता था। पिछले दो वर्षों से सिर्फ़ रात में ही जेल आता था। सारी फ़रमाइशें पूरी होती थीं। जेल का वीआईपी कल्चर पढ़ना है तो सुनेत्रा चौधरी की ‘बिहाइंड द बार्स’ पढ़ लें, समझ आयेगा कि आपके लिए जो काल कोठरी है वही मनु शर्मा, ए राजा, सुशील शर्मा और इंद्राणी मुखर्जी जैसों के लिए किस हद तक बेमानी है।
जब दामाद जैसी देखभाल जेल में हो ही रही थी फिर रिहा क्यों हुआ मनु? क़त्ल के बाद साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़, परिवार को प्रताड़ित करना अलग… ऐसे गुनाहों में भी आचरण के आधार पर छूट देती है न्याय प्रणाली!
या मनु शर्मा अचानक इतना भला व्यक्ति हो गया कि प्रशासन के पास रिहा करना ही एकमात्र विकल्प था!
महिला पत्रकार रीवा एस. सिंह की एफबी वॉल से.
उपरोक्त स्टेटस पर आए ढेरों कमेंट्स में से कुछ प्रमुख यूं हैं-
जन्या सिंह दीप्ति : अच्छा व्यवहार पैसे ओर पावर वाले ही करते… सात खून माफ…
Riwa S. Singh : दो साल से ओपन जेल में था। पता नहीं कबसे अच्छा व्यवहार कर रहा था। पहले ही दिन से पाक रहा होगा।
जन्या सिंह दीप्ति : पैसा ओर नेता की औलाद हो तो कुछ भी हो सकता
Vivek Sinha : अगर लालू यादव को परोल मिली होती तब खबरें दिखती
Ravish Shukla : 17 साल जेल में रहा है। हत्या की थी सजा मिलनी चाहिए मिली भी। लेकिन कोई अगर सुधर जाता है तो शर्मा लगा है या पैसावाले का लड़का है ये थोड़ा ज्यादती है।
Riwa S. Singh : जेल में कब कैसे कितना रहा है यह आप भी जानते हैं। शर्मा-वर्मा के इतर ही बात करते हैं तो जो व्यक्ति मनमर्ज़ी से जेल के बाहर रहता था उसे किस आचरण के आधार पर रिहा किया गया?
Ravish Shukla : जेल से बाहर रहता था समझा नहीं कैसे
Riwa S. Singh : पिछले दो वर्ष से सिर्फ़ रात में ही जेल आता था।
Ravish Shukla : वो सेमी ओपन जेल में था। तिहाड़ जेल परिसर में ही है। उसमें तीन सौ ज्यादा कैदी रहते हैं जो अपनी सजा का दो तिहाई सजा काट चुके होते हैं और जिसना आचरण अच्छा होता है।
Riwa S. Singh : ओपन जेल वाली बात पोस्ट में ही लिखी है। लेकिन इतने समय तक उसे जो ट्रीटमेंट मिलता रहा वह उसके विनोद शर्मा के सुपुत्र होने के कारण ही है।
Manoj Roy : Isne jo kiya h uske liye 17 sal kya 70 sal v kam h bacha tha m jab insne rape or murder kiya tha tab v utna he gussa aiya tha jitna aaj
Ravish Shukla : कई ऐसे लोग तिहाड़ जेल में हैं जो गुनाहगार थे अब सुधर कर वहीं कामगार हो चुके हैं, अच्छा पैसा अपने घरवालों को भेजते हैं।
Riwa S. Singh : जी सर, उनकी कहानियां भी जानती हूं लेकिन आप भी जानते होंगे कि मनु शर्मा जेल का वह कर्मठ व्यक्ति नहीं था। वह बहुत नियमबद्ध भी न रहा उसके बाद यह रिहाई उचित नहीं लगती।
Richa Singh : Coz justice is a PRIVILEGE reserved for few! And who was SHE anyways!! By the standards of our civil society, she was a below dignity girl serving liquor in a bar…and for all you know, the “reformed” man in question may end up contesting elections to serve us and our country ! Riwa, don’t you dare question a decision which may lead up to such a noble cause. Who are you to deny this to him & us! Afterall, that she is anyways resting in peace! Don’t disturb her plz!
Riwa S. Singh : Peace must be a terrible place if what happened to her has led her to the attainment of peace. And yeah, I won’t be surprised to see him contesting elections from any political party. We already have a sufficient number of goons sitting in the parliament. Poor Jessica should have served some liquor that day, that foolish girl dared to deny, only to follow rules which are already puppets of such great legacies and rest is history, a golden one.
Richa Singh : Exactly… it was completely her fault, first that she took birth in this gender and second she had an opinion….can you believe that! Having an opinion and then the fatal mistake of voicing it out.
Paritosh Singh : दरसल ये हत्या pre planed नही थी ..न तो उस लड़के की जेसिका से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी थी …heat of the moment में हत्या हो गयी ..उसके लिए उसने अट्ठारह साल जेल में काटे ..क्या सजा बदला लेने के लिए दी गयी थी? क्या उसको एक मौक़ा नही मिलना चाहिए.
Riwa S. Singh : हत्या तो थी ही, हत्या के बाद जो होता रहा कई वर्षों तक वह ज़्यादा त्रासदीपूर्ण रहा।
अमाया अजात स्मिता : निर्भया का गुनाह भी फिर तो प्रिप्लांड नहीं था। हीट ऑफ द मोमेंट में रेप कर देते हैं, हीट ऑफ द मोमेंट में हत्या कर दी, गज़ब तर्क है। हत्या के बाद सबरीना और उसके परिवार को तंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी शर्मा जी और उनके लड़के ने।
Paritosh Singh : मेरे ख्याल से दोनो केसों की नवैयत अलग अलग हैं ..एक केस में पूरी योजना के साथ किसी के साथ चार चार लोगों ने बेहुरमती की ..दरिंदगी की…फ़िर निर्भया को सड़क पर फेंक कर भाग निकले..मैं इस घटना को पूरे होशोंहवास में किया गया मानता हूँ…It was surely a rarest of the rare case . दूसरे केस में क्षणिक आवेश में आकर हत्या की और अठारह साल जेल में काटे..फिर जेसिका की बहन ने भी कहा कि we should move on. ये भी महज़ एक point of view ही है…! एक aspect हैं.You may disagree on it.
ध्रुव शंकर तिवारी : बहन समरथ को नहीं दोष गोसाईं। यह आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना सदियों पहले था। पिसती तो हमेशा से आम जनता ही है
Shahid Ali : Thora wait krein sab samjh ayega
Shashi Shekhar Singh : भावी विधायक जी के लिए आदर सूचक वक्तव्य दीजिये। मन्नू तुम संघर्ष करो। हम तुम्हारे साथ है।।
Rahul Singh Suryavanshi : Justice is a myth……
Prasenjit Singh : वो बड़े घर का बेटा है, इसलिए सभी खामोश हैं
Aasif Eqbal : न्यूज़ में कहीं पढ़ा ये पेरोल पे पहले से ही बाहर था। रसूखों पे पेरोल की मेहरबानी कुछ ज़्यादा होती है। और उनका आचरण उफ्फ क्या कहने…
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