देश के प्रसिद्ध समाचार पत्र दैनिक भास्कर को संचालित करने वाली कंपनी डीबी कार्प के चेयरमैन रमेशचंद अग्रवाल कल अहमदाबाद में ईश्वर को प्यारे हुए और खाली हाथ ही दुनिया से चले गए. अपने इतने बड़े साम्राज्य में से कुछ भी अपने साथ न ले जा सके. रमेश चंद्र अग्रवाल ने जीते जी अपने कर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से एरियर और वेतन न देने की जिद कर रखी थी और दिया भी नहीं. मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. मजीठिया वेज बोर्ड न दिए जाने की सबसे ज्यादा शिकायत दैनिक भास्कर समूह से ही आई है.
हृदयाघात से मरे रमेश चंद्र अग्रवाल को महान बताने और बनाने के लिए दलाल पत्रकारों में होड़ मची हुई है. किसी ने यह लिखने की हिम्मत नहीं जुटाई कि इस शख्स ने अपने समूह के कर्मियों को जबरदस्त शोषण किया और कानून व न्याय की अनदेखी कर आपराधिक कृत्य किया. दैनिक भास्कर समाचार पत्र समूह के खिलाफ सबसे ज्यादा जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ ना देने की शिकायत विभिन्न अदालतों में की गयी है जिसकी सुनवाई चल रही है.
बुधवार को अहमदाबाद विमानतल पर रमेश चंद्र अग्रवाल को हृदयाघात हुआ जिसके बाद वहीं एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. बाद में उनका निधन हो गया. रमेश अग्रवाल के निधन पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, रेल मंत्री सुरेश प्रभु आदि ने ट्वीट कर शोक प्रकट किया.
रमेश चंद्र अग्रवाल ने भोपाल विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एम ए किया था. रमेश चंद्र अग्रवाल को अखबार की दुनिया से जुड़े हुए़ 42 साल हो चुके थे. उन्हें 2003, 2006 में इंडिया टुडे मैगजीन द्वारा 50 सबसे शक्तिशाली व्यापारिक घरानों में से एक के मुखिया के बतौर सम्मानित किया गया. 2012 में भारत के सबसे अमीर लोगों की सूची में 95वें स्थान पर रहे.
इसके बावजूद वह अपने कर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड न देने पर अड़े रहे और इसके लिए कुख्यात हुए. रमेश चंद्र अग्रवाल के इस शोषणकारी रवैये के कारण भास्कर समूह की कई यूनिटों में कर्मियों ने बगावत का झंडा बुलंद कर दिया और हड़ताल तक कर दिया था. रमेश चंद्र अग्रवाल के बेटे गिरीश अग्रवाल, सुधीर अग्रवाल और पवन अग्रवाल उनका बिजनेस पूरी तरह संभाल चुके हैं.
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टीविस्ट
9322411335
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Comments on “अपने कर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड न देने वाले रमेशचंद्र अग्रवाल अपने साथ कुछ न ले जा सके!”
Mr.gulab kothari it time to think about majethia wage borad other same will happen with like mr.ramesh agarwal
हमने तो कोई कसीदे नहीं पढ़ी तारीफ में। हमारी माने तो शायद गैर जमानती वारंट ने झटका दे दिया। वो क्या हैं इरादे भले ताउम्र जवान रहें पर शरीर के अंग बूढ़े हो ही जाते हैं।