विस्फोट डाट काम के संपादक और संस्थापक संजय तिवारी पर पिछले दिनों जानलेवा हमला हुआ. उनके दरियागंज स्थित आवास पर उनका एक पुराना जानकार अनूप शक्ति नामक बीस बाइस साल का युवक पहुंचा. वह पूरी तैयारी के साथ आया था. उसने बैग में रस्सी, क्लोरोफार्म, हथौड़ी, कैंची आदि लिया हुआ था. उसे देख और शुरुआती बातचीत के बाद जब संजय तिवारी कुछ ही देर के लिए घर से बाहर निकलने को दरवाजे की तरफ मुड़े तो उस अनूप शक्ति नामक युवक ने पीछे से सिर पर हथौड़े से वार कर दिया. संजय तिवारी चिल्लाते हुए गिर गए. आरोपी अनूप शक्ति इस बीच संजय तिवारी को घसीटकर पीछे के कमरे में ले जाने लगा. संभवतः वह मर्डर कर देने के इरादे से आया था और यही काम करने के लिए वह संजय को घसीटते हुए पीछे के कमरे में ले जाने लगा. पर संजय तिवारी की तेज-तेज चीख-चिल्लाहट के कारण मकान मालिक आ गए और अंदर से बंद कमरे को बाहर से जोर-जोर से खटखटाने लगे.
बाहर किसी आदमी के होने की बात जानकर आरोपी अनूप शक्ति थोड़ा ठिठका और कुछ देर बाद झटके में दरवाजा खोलकर तेजी से भाग खड़ा हुआ. वह जल्दबाजी में अपना बैग भी छोड़कर भाग गया जिसमें पर्याप्त मात्रा में गांजा के साथ क्लोराफार्म, हथौड़ा, रस्सी आदि चीजें थीं. आरोपी अनूप शक्ति अपने घर गया और वहां जाकर कह आया कि उसने संजय तिवारी का मर्डर कर दिया है. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ 307 की बजाय सिर्फ 308 की धारा में रिपोर्ट दर्ज किया है. आरोपी अनूप शक्ति और उसके परिजनों से संजय तिवारी की काफी पुरानी जान-पहचान है. संजय का आरोपी के घर आना जाना भी है और पूरे परिवार से बेहद निजी ताल्लुकात हैं. आशंका है कि किसी घरेलू बात को लेकर या घर के किसी मसले में संजय तिवारी की दखलंदाजी को लेकर आरोपी अनूप शक्ति ने संजय तिवारी का मर्डर करने का इरादा कर लिया. हालांकि हमले की असली वजह अभी तक स्पष्ट नहीं है क्योंकि हमलावर फरार हैं और पीड़ित संजय तिवारी खुद नहीं समझ पा रहे कि उसने क्यों जानलेवा हमला किया.
घटना के कई दिन बाद भी हमलावर पुलिस के गिरफ्त से बाहर है, जिससे दरियागंज कोतवाली पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. हमलावर अनूप शक्ति अब भी संजय तिवारी से ह्वाट्सएप के जरिए संपर्क साधने की कोशिश कर रहा है और यह बताने की कोशिश कर रहा है कि उसे किसी ने गुमराह किया जिसके कारण वह मर्डर करना चाहता था. कई दिनों तक दरियागंज के एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती रहने के बाद आज दोपहर संजय तिवारी वहां से डिस्चार्ज हो गए. सिर, आंख और गर्दन के आसपास भारी चोट के शिकार हुए संजय को करीब दस टांके लगे हैं. पुलिस ने उनके कमरे जो कि घटनास्थल है, को फोटोग्राफी के बाद सील कर दिया है. संजय तिवारी किसी अपने परिचित के यहां अज्ञात स्थान पर रहने के लिए चले गए हैं. संजय तिवारी का कहना है कि वे खुद आश्चर्यचकित हैं कि वह पुराना परिचित आखिर क्यों मर्डर करने की नीयत लेकर आया था.
कुछ लोगों का कहना है कि पूरे प्रकरण में रहस्य की कोई एक परत है जो खुलने से बची हुई है. बेहद शांत, ईमानदार, आध्यात्मिक और जनपक्षधर वेब जर्नलिस्ट संजय तिवारी के जीवन पर इस घटनाक्रम का बड़ा असर पड़ेगा और वह अपने जीवन दर्शन को नए सिरे से पुनर्परिभाषित करने को मजबूर होंगे. ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर के सिद्धांत पर जीने वाले संजय तिवारी कहते हैं- ‘मुझे खुद भी सपने में तनिक अंदाजा न था कि मेरे पर कभी कोई जानलेवा हमला करेगा, वह भी मेरे घर के अंदर और हमलावर कोई और नहीं बल्कि मेरा जानकार परिचित करीबी होगा.” यह तो चमत्कार हुआ कि संजय तिवारी की जान बच गई लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या संजय तिवारी हमलावर अनूप शक्ति को दंडित कराएंगे और इसके लिए अभियान चलाएंगे या उसे चुपचाप माफ कर पूरे मामले को बीती बात मानकर भुला देंगे. संजय तिवारी फिलहाल गंभीर चोटों के शिकार हैं और आराम कर रहे हैं. उन्होंने फेसबुक पर खुद यह लिखकर सबको चैन की सांस दे दी है कि वे बाल-बाल बच गए हैं और अब बिलकुल ठीक हैं.
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की रिपोर्ट.
सिकंदर हयात
August 21, 2014 at 3:44 pm
सुनकर कलेजा मुह को आ गया अल्लाह का लाख लाख शुक्र हे की संजय जी ठीक हे एक तो वैसे ही हिंदी लेखन में आजकल अकाल पड़ा हुआ हे ऊपर से संजय जी जैसे कमाल की कलम के मालिक लेखक के साथ ऐसा हो गया बहुत ही दुःख हो रहा हे ईश्वर उन्हें जल्दी ठीक कर दे आमीन
अब्दुल रशीद
August 21, 2014 at 6:25 pm
अल्लाह का शुक्र है संजय जी ठीक हैं.जल्द सेहतमंद हो जाए और जो ऐसा करने का हिम्मत किया है उस पर कानूनी कार्यवाई जरुर होनी चाहिए ताकी आइंदा कोई हिम्मत न करे.
Ritvik Mishra
August 23, 2014 at 11:47 am
शर्मनाक। अति-निन्दनीय। मैं संजय के साथ हूँ। ईश्वर उन्हें जल्दी पूर्ण स्वस्थ बनाऍं और दीर्घायु प्रदान करे।
Rajesh agrawal
January 21, 2015 at 4:40 pm
संजय जी ऊर्जा से भरे पत्रकार हैं. फोन पर संपर्क होता रहा है. उन पर क्यों हमला हुआ, इस रिपोर्ट से भी साफ नहीं. विस्फोट में उनके विचारोत्तेजक लेख पढ़ने को मिलते हैं. अच्छी बात यह है कि वे आईसीयू से बाहर आ गए. उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूं.