जैसे हैं कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद, वैसे ही निकले नरेंद्र मोदी…. पत्रकार का दर्द कौन सुने…. उसे तो अंदर बाहर हर ओर से गाली और शोषण का शिकार होना है… पत्रकार बिकाऊ है या कपिल सिब्बल व सलमान ख़ुर्शीद… यह सोचने की बात है… भारत सरकार तो ऐसी है जो ना अपना भला बुरा जानती है, ना समाज का और ना ही देश का। मैं बात करना चाहूंगा पत्रकारिता की। पत्रकार वही है जो कम वेतन में काम करने को तैयार हो। बाकि ना उसकी शैक्षणिक योग्यता देखी जाती है ना अक्षर ज्ञान। नतीजन कोई भी पत्रकार बन सकता है।