रवीश कुमार प्राइम टाइम में देश को बताएंगे कि प्रणय राय एनडीटीवी से इतने सारे लोगों को एक साथ क्यों निकाल रहे हैं?

Manish Thakur : स्क्रीन काला नहीं कर सकते, मुंह पर कालिख पोत विरोध तो कीजिए! पत्रकारिता के नाम पर विचारधारा की दुकान चलाने का धंधा करने वाले प्रणय राय अब अपने वफादारों को नौकरी से निकाल कर सड़क पर धकेल रहे हैं। एनडीटीवी से निकाले गए लोगों के पास जीवकोपार्जन की कोई समस्या नहीं होगी यह पत्रकारिता का हर अदना सा व्यक्ति जानता है। वह इसलिए कि बिना टीआरपी वाले इस चैनल के मालिक प्रणय राय ने हवाला और मनीलान्ड्रिंग की कमाई से अपने कर्मयोगियों को दो दशक से ज्यादा वक्त से मोटी सैलरी और तमाम साधनों से इतना संपन्न रखा कि भगवान की दया से उन्हें इस जनम कोई दिक्कत नहीं।

एनडीटीवी की एजेंडा पत्रकारिता के बचाव में नदीम भाई अक्सर हम सबसे लोहा लेते..

Abhiranjan Kumar : मेरे मित्र ही नहीं, भाई समान भी हैं Nadeem Ahmad Kazmi. दो दिन पहले उन्हीं से बात करके जानकारी मिली कि उन्हें एनडीटीवी से निकाल दिया गया है। करीब 20 साल से वहां काम कर रहे थे। संस्थान को परिवार समझते थे और ख़ुद भी काफी वफादार समझे जाते थे। एनडीटीवी पर “कथित सरकारी हमले” की कुछ घटनाओं के बाद संस्थान और मालिकान के पक्ष में सर्वाधिक मुखर वही थे। यहां तक कि एनडीटीवी की एजेंडा पत्रकारिता के बचाव में नदीम भाई अक्सर हम भाइयों से भी लोहा लेने को उठ खड़े हो जाते थे। उनके बारे में मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि जितना उन्होंने एनडीटीवी से लिया, उससे अधिक एनडीटीवी को वापस भी दिया। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एनडीटीवी को स्थापित करने वाले और अपने पीछे-पीछे तमाम धुरंधर पत्रकारों को ले जाने वाले वही हैं।

अभिरंजन कुमार

जिस नदीम अहमद काजमी ने NDTV के लिए दिन-रात पसीना बहाया, उसी पर प्रबंधन ने गिरा दी गाज

प्रेस क्लब आफ इंडिया के सेक्रेट्री जनरल रह चुके नदीम अहमद काजमी को भी एनडीटीवी प्रबंधन ने नहीं बख्शा. भारी संख्या में छंटनी की लिस्ट में नदीम का भी नाम है. सूत्रों का कहना है कि एनडीटीवी इंडिया यानि एनडीटीवी ग्रुप के हिंदी न्यूज चैनल की सभी डेस्कों से मिलाकर सिर्फ एक शख्स को नौकरी से निकाले जाने का फरमान सुनाया गया है और वो हैं नदीम अहमद काजमी.

नदीम अहमद काज़मी